दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को विशेष विवाह अधिनियम (SMA) के तहत विवाहों पर आपत्तियां दर्ज करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने विधि मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके उनसे याचिका पर जवाब मांगा। अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाह करने वाले दंपत्ति की इस याचिका में दावा किया गया है कि 30 दिवसीय नोटिस अवधि लोगों को दूसरे धर्म में विवाह करने से हतोत्साहित करती है।
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दंपत्ति की ओर से पेश हुए वकील उत्कर्ष सिंह ने कहा कि समान धर्म के लोगों के बीच विवाह के संबंध में ‘पर्सनल कानूनों’ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।