दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के ”घातक तथा बेहद संक्रामक” रूप और राष्ट्रीय राजधानी के ”अधूरे” स्वास्थ्य ढांचे के कारण लोगों को पड़ोसी राज्यों के अस्पतालों का रुख करना पड़ा। अदालत ने दिल्ली सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया ऐसे रोगियों को उन राज्यों से चिकित्सा राहत मांगनी चाहिये, जहां वे इलाज करा रहे है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ”प्रतिवादी 1 (दिल्ली सरकार) की यह दलील पूरी तरह खारिज की जाती है…सभी यह जानते हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर के घातक तथा बेहद संक्रामक रूप और शहर के अधूरे स्वास्थ्य ढांचे के कारण दिल्ली के अनेक जरूरतमंद निवासियों को भर्ती होने या स्वास्थ्य देखभाल के लिये पड़ोसी राज्यों के अस्पतालों का रुख करना पड़ा, जिनमें याचिकाकर्ता के पिता भी शामिल हैं।”
दिल्ली के एक निवासी ने गुरुग्राम में भर्ती अपने पिता के लिये ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल किये जा रहे एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन/एम्फोनेक्स-50 की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की। दिल्ली सरकार ने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता के पिता का उपचार दिल्ली के अस्पताल में नहीं चल रहा है, लिहाजा उसे हरियाणा के संबंधित अधिकारियों से दवा की मांग करनी चाहिये।
अदालत ने दिल्ली सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पिता का एक महीने से अधिक समय से कोविड-19 का इलाज चल रहा है और वह जो दवा मांग रहा है, उससे रोगी के ठीक होने की उम्मीद है। लिहाजा, ”इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाए जाने की जरूरत है।” न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ”लिहाजा, मैं न्यायहित को ध्यान में रखते हुए प्रतिवादी-1 को याचिकाकर्ता के अनुरोध के प्रति कम से कम अगले कुछ दिन तक करुणामयी रुख अपनाने का निर्देश देती हूं।”
अदालत ने दिल्ली, हरियाणा और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर 25 मई यानि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिका पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया है।