नई दिल्ली : ट्रायल कोर्ट ने प्रेग्नेंट दिव्यांग युवती से रेप केस में तीन लोगाें को उम्रकैद की सजा सुना दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया। पुलिस ने इन तीनों को शक के आधार पर पकड़ कर आरोपी बनाया था। जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच के आधार पर एकत्र साक्ष्य और पीड़ित के बयानों में अंतर को आधार बनाकर तीनों आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया।
बेंच ने यह भी कहा कि इसमें से कोई भी किसी को नहीं जानता था। फिर युवती दिव्यांग हैं। ऐसे में इन तीनों ने ही रेप किया इस मामले में भी पहचान नहीं हो रही। पुलिस का शक और दिव्यांग युवती के बयानों के अाधार पर इन तीनों को इस केस में आरोपी बनाना वाजिब नहीं लगता।
ये है मामला…
24 जनवरी 2015 की रात को आसिफ अहमद नाम का व्यक्ति 181 नंबर बस से अपने घर आ रहा था। जो निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन जा रही थी। वह अपने ओखला स्थित घर पर जाने के लिए भोगल पर दूसरी बस पकड़ने के लिए उतरा। रात 10.30 बजे उसे नोटिस किया कि एक िदव्यांग युवती को पकड़कर कोई व्यक्ति ले जा रहा है। लड़की बचाओ-बचाओ चिल्ला रही है। इस पर ही उसने पुलिस को 100 नंबर पर कॉल किया।
जिसपर ही पुलिस ने उस लड़की को 11.29 तक ढूंढ निकाला। युवती मध्यप्रदेश की निवासी थी। वह देहरादून जा रही थी। पुलिस ने शक के आधार पर रमेश उर्फ पिंडारी, इस्लाम और बीरू को पकड़ लिया। िदव्यांग युवती के आगे पेश करने पर उसने बयान दिया कि इन तीनों ने उसका रेप किया और पिटाई भी की। उसे तीन लोग निजामुद्दीन स्टेशन से खाना खिलाने के बहाने लेकर आए थे।
– इमरान खान