नई दिल्ली : आखिर क्यों अतिक्रमण पर बार-बार सख्त रवैया अपना रहा है दिल्ली हाईकोर्ट। पिछले कुछ दिनों की बात करें तो दिल्ली हाईकोर्ट ने इस समय जितना कड़ा रुख अतिक्रमण को लेकर अपनाया है ऐसा इससे पहले ज्यादा देखने में नहीं मिला। चाहे डीडीए हो या नगर निगम, हर जिम्मेदार एजेंसी को हाईकोर्ट से अतिक्रमण के मुद्दे पर फटकार मिली है। यहां तक कि धर्म की आड़ लेकर सड़कों पर कब्जा करने वालो को भी हाईकोर्ट ने नहीं बख्शा। अगर बात की जाए तो अतिक्रमण, अवैध निर्माण, को लेकर इस समय तकरीबन दर्जन भर याचिकाएं हाईकोर्ट में चल रही हैं।
यहां तक कि हाईकोर्ट का सख्त रुख देखकर कुछ जनहित याचिकाएं आपसी दुश्मनी निभाने के लिए या किसी एक खास घर या जगह को टारगेट करने के लिए भी डाली गई। जिसपर हाईकोर्ट को बोलना पड़ा कि जनहित याचिका को अपने फायदे का जरिया न बनाया जाए। लेकिन सवाल यही है कि आखिर पिछले कुछ समय से अतिक्रमण को लेकर इतना गंभीर क्यों है हाईकोर्ट। दरअसल दिल्ली की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है यहां तक कि हाईकोर्ट को भी ये कहना पड़ा कि अगर संस्थाएं अपना काम ठीक से करती तो दिल्ली की ये हालात नहीं होती।
दिल्ली का शायद की कोई इलाका बचा हो जो अवैध निर्माण या अवैध कब्जे से अछूता हो। हर दिन कहीं न कहीं पर कब्जे की शिकायत कभी जनहित याचिका के माध्यम से कभी खबरों के माध्यम से कोर्ट को मिलती है। हाईकोर्ट भी मानता है कि अगर देश की राजधानी दिल्ली की स्थिति को और बिगड़ने से बचाना है तो न्यायपालिका को ही कुछ करना होगा।
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