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शुष्क दिवस को भी तर रहे गले

आदेश अन्दरखाने चलने वाली दुकानों पर लागू नहीं थे लिहाजा मदिरा लाए जाने और पीने-पिलाने का सिलसिला हमेशा की तरह जारी बना रहा।

श्योपुर : जिलाधीश एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सौरभ कुमार सुमन द्वारा विधानसभा निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1995 की धारा 24 (1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी की गई निषेधाज्ञा लोकसभा चुनाव की ही तरह असरहीन बनी रही तथा क्षेत्र भर में शराबियों की मौजूदगी आम दिनों की तरह बनी दिखाई दी। हालांकि प्रावधानों व आदेशों के अनुपालन में देशी-विदेशी मदिरा की दुकानें बदस्तूर बंद पाई गईं लेकिन पहले से कोटा जुटाने वाले सुराप्रेमियों ने घोषित शुष्क-दिवस पर भी अपने गलों को तर बनाए रखा और मस्ती में झूमते हुए मतदान और समर्थन का आनंद उठाया।

माना जा रहा है कि ड्राय-डे के बावजूद शराबियों की सक्रिय मौजूदगी उस समानांतर कारोबार की देन हो सकती है जो विधानसभा क्षेत्र की सीमाओं मे अन्दरखाने लगातार फल-फूल रहा है। उल्लेखनीय है कि जिले के विधानसभा चुनाव को लेकर जिले भर मे 28 नवम्बर को निर्विघ्र मतदान कराने के लिऐ सभी देशी एवं विदेशी मदिरा की दुकानों को 26 नवम्बर को सायं 5.00 बजे से 28 नवम्बर को सायं 5.00 बजे तक बंद रखने के आदेश जारी किए गए थे लेकिन यह आदेश अन्दरखाने चलने वाली दुकानों पर लागू नहीं थे लिहाजा मदिरा लाए जाने और पीने-पिलाने का सिलसिला हमेशा की तरह जारी बना रहा।

ज्ञात रहे कि श्योपुर जिले की सीमा महज 22 से 25 कि.मी. की दूरी पर राजस्थान के कोटा, बारां और सवाई माधोपुर जिलों की सीमाओं से सटी हुई है जहां शराब के ठेके दिन-रात यौवन पर नजर आते हैं और मध्यप्रदेश से कम दामों पर शराब उपलब्ध कराने के लिए जाने जाते हंै। ऐसे में शुष्क दिवस की सार्थकता पर महज विचार-विमर्श ही किया जा सकता है। विचार इस सवाल पर भी संभव हो सकता है कि जिस अवधि में देशी-विदेशी मदिरा की खेप किस रास्ते से और किसके माध्यम से नगरीय क्षेत्र तक पहुंची? फिलहाल, इन सवालों पर जवाब-तलबी प्रशासन और पुलिस के आला अफसरों को करनी है। आगे उनकी मर्जी कि इसे गंभीरता से लें अथवा नजरअंदाज करें।

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