केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताएगी कि अनुसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति (SC\ST) के कथित उत्पीड़न के मामलों में फौरन मामला दर्ज करने और गिरफ्तारी रोकने से जुड़े कोर्ट के आदेश से उनके संरक्षण के उद्देश्य से बनाया गया कानून कमजोर होगा। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाने वाली अपनी पुनर्विचार याचिका में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के यह कहने की उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के प्रावधान कमजोर होंगे।
सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय यह भी कह सकता है कि नवीनतम आदेश से कानून का डर कम होगा और इसके फलस्वरूप उल्लंघन के और मामले सामने आ सकते हैं। लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत के नेतृत्व में राजग के एससी और एसटी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। गहलोत ने हाल ही में प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका के लिए लिखा था।
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