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चुनावी मौसम में भाजपा ने पकाई सियासी खिचड़ी

रामलीला मैदान में रविवार को सियासी खिचड़ी पकाकर दिल्ली प्रदेश भाजपा ने चुनावी मौसम में जातीय समीकरण को साधने की भरपूर कोशिश की।

नई दिल्ली : रामलीला मैदान में रविवार को सियासी खिचड़ी पकाकर दिल्ली प्रदेश भाजपा ने चुनावी मौसम में जातीय समीकरण को साधने की भरपूर कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प और कांग्रेस को जमकर कोसते हुए अंबेडकर के नाम पर अनुसूचित जाति में जोश भरा गया और भारत माता को भोग लगाकर राष्ट्रीयता का तड़का लगाया गया।

वहीं आला नेताओं ने अपने हाथ से खिचड़ी परोस कर भाजपा को ही अनुसूचित जाति का एक मात्र खैरख्वाह बताया। गनीमत रही कि सुबह हुई हल्की बारिश के बाद आसमान साफ हो गया और खिचड़ी खाने वाले भी मैदान में पहुंच गए।

अंबेडकर और मोदी की सोच एक जैसी : रामलाल
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल ने समरसता खिचड़ी को समरसता प्रसाद का नाम देते हुए कहा कि अंबेडकर और मोदी दोनों की सोच एक जैसी है। अंबेडकर भी समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की बात करते थे और मोदी भी यही करते हैं। हालांकि अंबेडकर के नाम पर कई पार्टीयां राजनीति करती हैं, लेकिन जब समाज के स्वाभीमान की बात आती है तो भाजपा को छोड़कर सारे पीछे हट जाते हैं। वे नाम की राजनीति नहीं करते हैं, बल्कि अंबेडकर की नीतियों का सम्मान करते हैं।

खिचड़ी की भाप से राहुल-केजरी हो रहे हैं बेहोश : तिवारी
इस अवसर पर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि इस कार्यक्रम के लिए प्रदेश के तीन लाख अनुसूचित जाति के लोगों से एक मुट्ठी चावल-दाल मांगा गया है। उनसे कहा गया कि मोदी के काम से खुश हैं, तो चावल दाल दें। और इसके लिए किसी ने भी मना नहीं किया। विपक्षियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे जो खिचड़ी पका रहे हैं, उसकी भाप से राहुल और केजरीवाल बेहोश हो रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा गरीबों के इलाज के लिए दिए जा रहे प्रति वर्ष पांच लाख रुपए को भी रोकने का दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया।

पांच घंटे में पकी खिचड़ी
विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले इस खिचड़ी को बनाने का काम रविवार को सुबह करीब साढ़े आठ बजे शुरू हुआ। सबसे पहले 5000 लीटर पानी और 100 लीटर तेल डाला गया। इसके बाद इसमें करीब 215 किग्रा हल्दी, धनिया, मिर्च, अदरख, लहसुन और प्याज डालकर करीब दो से ढाई घंटे उबाला गया। इसके बाद इसमें करीब 500 किग्रा गाजर, मटर और मूंगफली और करीब 70 किग्रा नमक डाला गया। बाद में करीब 400 किग्रा चना, साबूत मूंग और साबूत उड़द दाल डाला गया। इसके करीब आधे घंटे बाद करीब 600 किग्रा चावल डाला गया और जब यह पक गया तो ऊपर से करीब 200 किग्रा घी डाला गया। विष्णु का कहना है कि खिचड़ी में चावल और दाल बनने के बाद पांच गुणा ज्यादा हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है, जिसे गिनीज बुक वालों को भेजा जाएगा।

क्रेन से चूल्हे पर चढ़ी कढ़ाई…
विष्णु ने जिस कढ़ाई में खिचड़ी के नए (5000 किग्रा) विश्व रिकॉर्ड बनाने का दावा किया है, उसका वजन 1000 किग्रा है। इसमें 850 किग्रा की कढ़ाई और 150 किग्रा का ढ़क्कन है। इसे ट्रक पर पुणे से लाया गया है और क्रेन के माध्यम से चूल्हे पर चढ़ाया गया।

राष्ट्रीय खाना घोषित करने की मांग
एक ही बर्तन में सबसे ज्यादा 3000 किग्रा खिचड़ी के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ने का प्रयास करने वाले विष्णु का कहना है कि वह खिचड़ी को राष्ट्रीय खाना घोषित कराना चाहते हैं। इसके लिए वह पिछले दो साल से प्रयासरत हैं।

छात्रों का सहयोग
नागुपर से विष्णु मनोहर की आठ लोगों की टीम के साथ ही पानीपत के लक्ष्य कॉलेज ऑफ होटल मैनेजमेंट से 15 छात्र भी आए। इन्होंने चावल-दाल को धोने, सब्जियां काटने और उन्हें चूल्हे तक पहुंचाने में मदद किया।

खिचड़ी या भोज से नहीं मिलेगा वोट : उदित राज
एक तरफ जहां दिल्ली प्रदेश भाजपा खिचड़ी से एससी मोर्चा के वोटों को अपना बनाने का दावा कर रही थी, वहीं दिल्ली से ही पार्टी के एक सांसद और दलित चेहरा डॉ. उदित राज ने यह कहते हुए इसकी हवा निकाल दी कि इससे वोट नहीं मिलेंगे। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने भी पहले इस तरह की कोशिश की थी, लेकिन जब वोट नहीं मिला तो छोड़ दिया। एससी समाज को हिस्सेदारी चाहिए। इस तरह के आयोजन समाज में सद्भाव तो बढ़ा सकते हैं, लेकिन वोट नहीं दिला सकते।

समाज के उत्थान के लिए कई योजनाएं
केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि किसी भी समाज को नजरअंदाज कर देश का विकास नहीं हो सकता है। यह बात केवल भाजपा ही समझती है। यही कारण है कि जहां अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इस समाज के उत्थान के लिए कई योजनाएं बनी, वहीं मौजूदा केंद्र सरकार ने भी इस समाज के लिए सवा सौ से भी ज्यादा योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्होंने अंबेडकर का कभी भी सम्मान नहीं किया, लेकिन मोदी सरकार ने उनसे जुड़े पांच स्थानों को तीर्थ की तरह विकसित किया है।

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