नई दिल्ली : यह सवाल इसलिए कि इन दिनों देश के सबसे बड़े और अत्याधुनिक माने जाने वाले इस अस्पताल में ऑपरेशन के बाद अगर मरीज की तबीयत बिगड़ भी जाए, तो भी अस्पताल में न उसके लिए बेड है और न ही डॉक्टरों के पास जगह। ऐसे में मरीज बार बार आकर इसी सवाल पर अटक जाता है कि देश में इलाज कराने और कहां जाए। नंद नगरी निवासी संदीप बताते हैं कि उनकी 34 वर्षीय बहन नीतू को पित्त की थैली में पथरी की परेशानी की वजह से बीते एक अक्टूबर को एम्स के ओपीडी में दिखाया था, जहां मरीज की गंभीर अवस्था को देखते हुए डॉक्टर ने इमरजेंसी में भर्ती कराने का सलाह दिया।
वहां भर्ती होने के बाद तीन अक्टूबर को नीतू की ईआरसीपी हुई। संदीप की मानें तो ईआरसीपी के 48 घंटे बाद भी नीतू की हालत ठीक नहीं होने के बाद भी अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। नतिजा वही हुआ जिसका अंदाजा था। 24 घंटे के अंदर ही उसे दोबारा इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ा लेकिन इस बार भी हालत में सुधार नहीं होने के बाद भी सोमवार की शाम को बेड नहीं होने की वजह बताते हुए छुट्टी कर दी गई। बता दें कि यह कोई पहला वाक्या नहीं है। इससे पहले भी कई मरीज इसी तरह ऑपरेशन के बाद तबीयत खराब होने पर भी बेड नहीं होने के नाम पर निकाले जा चुके हैं।