नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। छात्र संघ चुनाव के अध्यक्ष पद के लिए इस बार सिर्फ 6 उम्मीदवार ही मैदान में हैं। लेकिन गुरुवार देर शाम अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार राघवेंद्र मिश्रा ने एक सनसनीखेज आरोप जेएनयू प्रशासन पर लगाकर माहौल को और गर्म कर दिया है। दरअसल राघवेंद्र ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उनके नामांकन को रद्द करने के लिए चुनाव आयोग से कहा है।
हालांकि छात्र संघ चुनाव समिति की ओर से इस संबंध में कोई सूचना जारी नहीं की गई है। राघवेंद्र ने सोशल मीडिया के जरिए एक पत्र साझा किया है जिसमें शिकायत निवारण कोष (जीआरसी) के प्रमुख प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने चुनाव समिति के प्रमुख शशांक पटेल को लिखा है कि हमें 29 अगस्त को राघवेंद्र मिश्रा की उम्मीदवारी को रद्द करने के संबंध में एक शिकायत प्राप्त हुई है। इस संबंध में जांच के दौरान जीआरसी को राघवेंद्र पर हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में पता चला है। पत्र में यह जिक्र है कि प्रोक्टॉरियल जांच समिति की ओर से 7 अगस्त को राघवेंद्र पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था, जिसे 10 दिन के अंदर जमा करके उसका सबूत चीफ प्रोक्टर दफ्तर में भेजना था।
इसी मामले में जीआरसी ने एकमत से राघवेंद्र की उम्मीदवारी को रद्द करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही पत्र में यह भी जिक्र है कि जीआरसी की ओर से चुनाव समिति को इस निर्णय को बिना किसी बदलाव के माने। वहीं जेएनयू प्रशासन ने इस पत्र की एक-एक प्रति राघवेंद्र मिश्रा, शिकायतकर्ता और साबरमती छात्रावास के वरिष्ठ वार्डन को भी भेजा है।
क्या कहना है राघवेंद्र का…
वहीं इस पूरे मामले में राघवेंद्र मिश्रा ने जेएनयू प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। इनका कहना है कि प्रशासन मुझे नोटिस भेजा गया है कि आप चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं प्रोफेसर उमेश कदम से पूछना चाहता हूं कि आप मुझे से इनता डर क्यों रहे हैं। पूर्व के चुनाव में बापसा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रवीण थल्लापल्ली पर मुझे से ज्यादा जुर्माना हुआ था, उन्हें छात्रावास से भी हटाया गया था।
इसी तरह एनएसयूआई की ओर से चुनाव लड़े विकास यादव पर भी जुर्माना था, इन्हें चुनाव लड़ने दिया गया। उन्होंने जेएनयू प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह एक गरीब के बेटे को चुनाव में लड़ने देना नहीं चाहता है।