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JNU देशद्रोह मामले में कोर्ट ने कहा, अधिकारी लंबे समय तक फाइल अटका कर नहीं रख सकते

पुलिस ने 14 जनवरी को कुमार एवं जेएनयू के पूर्व छात्रों – उमर खालिद एवं अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ शहर की एक कोर्ट में आरोप-पत्र दायर किया था।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 2016 के देशद्रोह मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य पर मुकदमा चलाने की मंजूरी हासिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को बुधवार को 28 फरवरी तक का समय दिया। कोर्ट ने पुलिस ने कहा कि वह संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द मंजूरी देने को कहें।

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मंजूरी दिल्ली सरकार की ओर से लंबित है और कुछ ही दिनों में हासिल कर ली जाएगी। इस पर कोर्ट ने कहा, “अधिकारी लंबे समय तक फाइल अटका कर नहीं रख सकते।” कोर्ट ने इससे पहले दिल्ली पुलिस से इजाजत हासिल किए बिना कुमार एवं अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दायर करने को लेकर सवाल किए थे और उन्हें छह फरवरी तक का समय दिया था।

पुलिस ने 14 जनवरी को कुमार एवं जेएनयू के पूर्व छात्रों – उमर खालिद एवं अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ शहर की एक कोर्ट में आरोप-पत्र दायर किया था। इसमें कहा गया था कि कुमार ने संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर विश्वविद्यालय में नौ फरवरी 2016 को रखे गए एक कार्यक्रम के दौरान सभा की अगुवाई की थी और उसने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था।

गौरतलब है कन्हैया समेत अन्य छात्र नेताओं पर दिल्ली स्थित जेएनयू परिसर में संसद हमले का दोषी अफजल गुरू को फांसी पर लटकाए जाने के विरोध में कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप है। साथ ही इन पर कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण देने की धाराओं में भी मामला दर्ज किया गया है।

इस मामले में दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने कहा था कि यह मामला काफी पेचीदा है और इसके लिए पुलिस की अलग-अलग टीमों ने कई राज्यों का दौरा कर जांच की है। जेएनयू में कथित देश विरोधी नारेबाजी के खिलाफ खूब हंगामा हुआ था। यहां तक कि बीजेपी के नेताओं ने जेएनयू को देशद्रोहियों का अड्डा तक बताया था। कन्हैया की गिफ्तारी का भी उन दिनों काफी विरोध हुआ और कई छात्र संगठन इसके खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। हालांकि कन्हैया कुमार विभिन्न मंचों से दिल्ली पुलिस को इस केस में चार्जशीट दाखिल करने की चुनौती दे चुके हैं।

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