नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्र संघ अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल जारी रखते हुए प्रशासन से मांग की है कि प्रशासन ने छात्र विरोधी प्रास्पेक्टस तैयार किया है उसे वापस लिया जाए। इस बारे में छात्र संघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने बताया कि नई दाखिला प्रक्रिया में जिस तरह से बदलाव किए गए हैं, यह सिर्फ जेएनयू का मुद्दा नहीं रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार की नीति है कि वह विश्वविद्यालयों को जियो इंस्टीट्यूट मॉडल में बदला जा सके।
इसी के तहत जेएनयू पर इसका प्रयोग किया जा रहा है। उधर हड़ताल पर बैठी जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष सारिका का कहना है कि बिना किसी फैकल्टी या इमारत के जेएनयू में एमबीए पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है। एक तरफ विवि में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण की बात हो रही है तो दूसरी तरफ 12 लाख रुपये फीस वाला पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
इस तरह के नियमों से गरीब-वंचितों का जेएनयू में पढ़ना मुश्किल होगा। इसके अलावा बीए लेटरल और एमफिल-पीएचडी को डीलिंक करने के मुद्दे भी यहां उठाए जा रहे हैं। बता दें कि जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में सोमवार को देर रात 12 बजे छात्रों ने शिक्षा बचाओ, विश्वविद्यालय बचाओ मार्च निकाला। मार्च के बाद जेएनयू के 11 छात्र-छात्राएं साबरमती ढाबे के पास टी-प्वाइंट पर भूख हड़ताल में बैठ गए।
क्या कहना है प्रशासन का…
उधर जेएनयू प्रशासन ने एक प्रेस विज्ञप्ति देकर जेएनयू छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों को दाखिला प्रक्रिया में सहयोग के लिए बधाई दी। रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार के अनुसार विवि को सभी स्कूलों, स्पेशल सेंटरों और सेंटरों के सहयोग की सराहना की। कहा कि हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि 15 मार्च से शुरू 2019-20 सत्र की आवेदन प्रक्रिया में अब तक हजारों छात्रों ने नामांकन किया है। छात्र समुदायन ने कंप्यूटर आधारित प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया की सराहना की है।