गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर पर कथित तौर पर झंडा फहराने वाले युवक की पहचान जुगराज सिंह के रूप में हुई है। जुगराज पंजाब के तरनतारन जिले के गांव तारा सिंह का रहने वाला है। लाल किले एवं दिल्ली में हिंसा एवं उत्पात के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को देखते हुए जुगराज एवं उसके परिवार को आशंका है कि पुलिस उनके खिलाफ भी एक्शन ले सकती है। जैसे ही पुलिस द्वारा सख्ती किए जाने की भनक लगी जुगराज सिंह के पिता बलदेव सिंह अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ घर से फरार हो गए हैं।
जुगराज के घर पर अब केवल उसके दादा-दादी हैं। जब जुगराज ने झंडा लगाया था तब उसके दादा मेहल सिंह ने कहा था, 'बारी कृपा है बाबे दी, बहोत सोहन है। एक दिन बाद जब उनसे अपने पोते के कृत्य के बारे में पूछा गया तो बोले, हम नहीं जानते कि क्या हुआ या कैसे हुआ, वह एक अच्छा लड़का है, जिसने हमें कभी भी शिकायत करने का कोई मौका नहीं दिया है। गांव के लोगों का कहना है कि इस घटना के बाद पुलिस कई बार जुगराज के घर आ चुकी है लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा है।
गांव के बुजुर्ग प्रेम सिंह ने बताया कि उन्होंने यह घटना टेलीविजन पर देखी थी। प्रेम सिंह ने जुगराज को एक परिश्रमी लड़का बताया। उन्होंने कहा, जुगराज ने जो किया वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन निर्दोष है, उसे नहीं पता कि लाल किले पर इस तरह से झंडा फहराने का दुष्परिणाम क्या हो सकता है। मैंने टेलीविजन पर देखा कि ये छंडे ट्रैक्टरों पर पहले से लगे थे। किसी ने झंडा थमाकर उसे लाल किले पर फहराने के लिए उकसाया होगा।
पुलिस के हवाले से कहा गया है कि लाल किले पर निशान साहिब झंडे को फहराने वाले युवक जुगराज की अलगाववादी या कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। उसके पिता बलदेव सिंह गुरुद्वारों पर निशान साहिब लगाते आए हैं, अपने पिता की तरह वह भी इस कार्य में निपुण है। उसके दादा मेहल सिंह का कहना है कि उनके पोते जुगराज ने तीन दिन पहले किसान आंदोलन में शामिल हुआ। खालड़ा पुलिस स्टेशन के एसएचओ समिंदरजीत सिंह का कहना है कि जुगराज का वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद इस बात की जांच की गई कि कहीं परिवार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं है।