नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल डेंगू जैसे संवेदनशील जनस्वास्थ्य के मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। विधानसभा के चुनावों को देखते हुए वे इस बात का झूठा श्रेय ले रहे हैं कि उनके कार्यकाल में डेंगू के मामलों में भारी गिरावट आई है। वर्ष 2015 में डेंगू के रिकार्ड मामले दर्ज हो रहे थे और उस समय मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दिल्ली से नदारद थे। केजरीवाल ने कहा था कि हमारे पास पेन खरीदने की भी पावर नहीं है। डेंगू के बारे में प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल से सवाल कीजिए।
डेंगू पर काबू पाना उनका नहीं नगर निगमों का काम है। वही केजरीवाल अब चुनावों को देखते हुए अपनी सरकार की पीठ थपथपा रहे हैं। विजेन्द्र गुप्ता ने केजरीवाल के तीन साल में डेंगू के 80 प्रतिशत कम होने के दावे को गुमराह करने वाला बताया। केजरीवाल का यह कहना अत्यंत भ्रामक है कि वर्ष 2015 में 15867 केस हुए और वर्ष 2018 में 2798 केस हुए। वास्तविकता यह है कि उनके 2015 से 2018 के कार्यकाल में कुल मिलाकर 27822 केस प्रकाश में आए। उनके कार्यकाल से पहले वर्ष 2011 से 2014 के बीच मात्र 9793 केस प्रकाश में आए थे।
केजरीवाल के कार्यकाल में डेंगू के केसों में 284 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। केजरीवाल के कार्यकाल में डेंगू से 24 लोगों की मृत्यु हुई है और केजरीवाल पूर्व के 4 वर्षों में 21 लोगों की मृत्यु हुई थी। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015 से दिल्ली नगर निगम के फंड रोक कर ओछी राजनीति खेली। डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स को लंबे समय तक वेतन जारी नहीं किया। दिल्ली सरकार उनके लिए निगमों को समय पर और पूरा वेतन नहीं जारी कर रही है। वेतन फंड में कमी रह जाती है उसे नगर निगम में ऋण लेकर या दूसरे खातों से भरपाई कर पूरा करती है।