नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की आहट होते ही केजरीवाल सरकार नेे दिल्ली मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) को लेकर ‘यू-टर्न’ लेते हुए खुद की लगाई सारी अड़चनों और आपत्तियों को अचानक हटा दिया है।
सरकार का राजनीतिक द्वेष भरा रवैया इसी तथ्य से झलकता है कि उसने चालू वित्त वर्ष में आरआरटीएस के लिए कोई बजटीय प्रावधान ही नहीं रखा था। लेकिन अब इसके लिए अपने हिस्से का फंड पर्यावरण शुल्क से देने का निर्णय लिया है। यही नहीं अब सराय कालेखां पर अंडरग्राउंड स्टेशन बनाए जाने की बेतुकी जिद भी छोड़ दी है।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि पिछले दो वर्षों में सरकार का एक ही उद्देश्य था कि केन्द्र सरकार के प्रोजेक्ट को किसी न किसी तरह टाला जाए। वर्ष 2019-20 के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का बजट होते हुए भी सरकार फंड नहीं होने का बहाना कर रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए तरह-तरह के बहाने बनाकर पैसा जारी करने से इंकार करती रही। मुख्यमंत्री की बेतुकी जिद थी कि सराय कालेखां पर बनने वाले जंक्शन को अंडरग्राउंड बनाया जाए।
इस पर चार हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय आता और नया बस अड्डा बनने में देरी होती। दिल्ली सरकार ने पांच वर्ष के दौरान 1138 करोड़ रुपया देना था और इस हिसाब से उसे औसतन 227 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष देने बनते थे। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हिस्से के 5600 करोड़ रुपये अविलंब जारी कर दिए थे। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण और नागरिकों को होने वाली भारी सुविधा को भी दरकिनार कर दिया। उकेन्द्र 50 प्रतिशत पैसा दे रही है। इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा की सरकारें जुड़ी हैं।