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‘दम है तो केजरीवाल कर लें प्रवेश वर्मा से मुकाबला’

द्वारका सेक्टर-20 में मंगलवार को डीडीए के कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों का जिक्र करते हुए यह कहना कि, ‘यहां प्रवेश बैठा है, केजरीवाल जी डेट तय कर लें।

नई दिल्ली : द्वारका सेक्टर-20 में मंगलवार को डीडीए के कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों का जिक्र करते हुए यह कहना कि, ‘यहां प्रवेश बैठा है, केजरीवाल जी डेट तय कर लें। प्रवेश वर्मा आपकी देरी का चिट्ठा लेकर आपके साथ चर्चा करने को तैयार हैं, जगह और टाइम आप तय कर लो।’ गृहमंत्री द्वारा मंच से सांसद प्रवेश वर्मा को लेकर इस तरह का जोशिला बयान देना दिल्ली भाजपा की राजनीति में खास मायनों से देखा जा रहा है। 
इसके बाद से दिल्ली भाजपा में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। खासकर दिल्ली विधानसभा चुनाव से इसे जोड़ते हुए अलग-अलग कयास लगाए जा रहे हैं। भाजपा में एक खेमे का तो यहां तक कहना है कि अभी तक दिल्ली के संभावित मुख्यमंत्री पदों की दौड़ के दावेदारों में डॉ. हर्षवर्धन, मनोज तिवारी, विजय गोयल और विजेन्द्र गुप्ता का नाम शामिल था, लेकिन उनमें एक और नाम प्रवेश वर्मा का भी मजबूती के साथ जुड़ गया है। 
भाजपा सूत्रों की माने तो मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह का प्रवेश वर्मा को लेकर यह बोलना कि अरविंद केजरीवाल यदि चाहें तो प्रवेश वर्मा उनका चिट्ठा खोलने को तैयार हैं। इससे मायने लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली की राजनीति में गजब का जमीनी वजूद रखने वाले सांसद प्रवेश वर्मा को पार्टी कोई अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है। यूं भी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में सबसे अधिक रिकॉर्ड मतों से जीतने वाले सांसद अकेले प्रवेश वर्मा ही थे। 
अभी ज्यादा दिन नहीं हुए कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने द्वारका की रामलीला में दशहरे के अवसर पर जाकर ‘प्रवेश वर्मा मेरे मित्र’ संबोधन किया था। द्वारका की रामलीला में जाकर प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल नई शुरुआत की थी, बल्कि मंच से कम शब्दों में बहुत कुछ बयान कर संकेत दे दिया था। प्रवेश वर्मा को भविष्य में पार्टी कब और क्या अहम जिम्मेदारी सौंपेगी वो तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यह बात तो साफ हो चुकी है कि प्रवेश वर्मा को दिल्ली देहात का सबसे बड़ा नेता यूं ही नहीं कहा जाता है। 
कुछ माह पूर्व दिल्ली में सड़कों पर बनी अवैध मस्जिदों को हटाने के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिखकर भी वे खासी चर्चा में आए थे। इसके अलावा संसद में अपने जोशिले भाषणों से वे न केवल सदन में, बल्कि दिल्ली की जनता के बीच भी खासी जगह बना चुके हैं। प्रदूषण के मुद्दे पर भी उन्होंने लोकसभा में दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लिया था।

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