नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में हुए सड़क हादसों में घायल लोगों के इलाज में कोताही बरतने वाले और इलाज के लिए मना करने वाले निजी अस्पतालों का लाइसेंस रद्द हो सकता है। सरकार ने सभी अस्पतालों को सख्त लहजे में कठोर कार्रवाई करने के चेतावनी दे दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को एक प्रेसवार्ता कर कहा कि सड़क दुर्घटना के मामले में पहला एक घंटा काफी संवेदनशील होता है, इसे गोल्डन आवर कहते हैं। यदि घायल को इस घंटे में बेहतर उपचार मिले तो उसकी जान बचने के चांस बढ़ जाते हैं।
इस बारे में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी समय-समय पर निर्देश देते रहे हैं लेकिन कुछ अस्पतालों ने इसमें कोताही दिखायी है। लेकिन अब सरकार ऐसी कोताही कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। अब ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस तुरंत कैंसिल हो सकता है। सीएम ने बताया कि इस संबंध में मैंने मंगलवार को सभी अस्पतालों के साथ एक बैठक की,जिसमें अस्पतालों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। लेकिन इसके बाद भी यदि हमारे पास किसी अस्पताल की शिकायत पहुंची तो सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। सीएम ने कहा कि एक साल पहले फरवरी 2018 में सरकार ने कैशलैश ट्रीटमेंट फॉर रोड एक्सीडेंट विक्टिम योजना शुरू की थी।
इसमें एसिड अटैक और बर्न इंजरी का भी इलाज शामिल है। इस योजना के तहत अप्रैल 2019 तक 2501 लोगों की जान बची है। इस योजना में सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने वालों को भी 2000 रूपये एवं प्रशस्ति पत्र दिये जाने का प्रावधान है। लेकिन दिल्ली वालों ने ईनाम राशि लेने से इंकार कर दिया है। सीएम ने दावा किया है कि उक्त 2501 मामलों में से महज 100 लोगों ने ही इनाम राशि ली, बाकी सभी ने इस राशि को लेने से इंकार कर दिया।