दिल्ली की सीमाओं पर करीब तीन महीने से केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानो का आंदोलन जारी है। वहीँ पेट्रोल-डीजल के बाद दूध के दामों में भी बढ़ोतरी होनी की बात कही जा रही थी। दूध के दाम 100 रूपए करने को लेकर दिनभर इंटरनेट माध्यमों पर सूचना प्रेषित दिखाई दी।
सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा था, जिसमें कहा जा रहा था कि जब पेट्रोल के दाम 100 रूपए लीटर पहुंच सकते हैं तो दूध के दाम 100 रूपए लीटर क्यों नही हो सकता? मैसेज में दावा किया गया था कि कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दूध के दाम को बढ़ाने का फैसला किया है।
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को कहा कि उसने किसानों से एक मार्च से पांच मार्च के बीच दूध नहीं बेचने या बाद में दाम बढ़ाने जैसा कोई आह्वान नहीं किया है।
जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उनकी तरफ से दूध न बेचने या 100 रूपए प्रति लीटर के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ाने का कोई आह्वान नहीं किया गया है।
जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उनकी तरफ से दूध न बेचने या 100 रूपए प्रति लीटर के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ाने का कोई आह्वान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि उनके नाम पर सोशल मीडिया पर गलत वीडियो, मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें दूध का दाम बढ़ाने की बात कही गई है।
किसानों ने लोगों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर संयुक्त किसान मोर्चा के नाम पर वायरल हो रहे ऐसे मैसेज और वीडियो की अनदेखी करें।
किसानों ने लोगों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर संयुक्त किसान मोर्चा के नाम पर वायरल हो रहे ऐसे मैसेज और वीडियो की अनदेखी करें।