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कोठारी ने डकार लिए 7 बैंकों के 3695 करोड़, कोठारी समेत 3 डायरेक्टर्स पर केस

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मुंबई स्थित पंजाब नेशनल बैंक की ब्रैडी हाउस ब्रांच के फर्जीवाड़े से नीरव मोदी की काली करतूतों से जो परतें हटनी शुरू हुईं तो बैंक फ्रॉड की आंच यूपी के कानपुर तक पहुंच। हीरों के कारोबारी नीरव मोदी के बैंक घोटाले के बाद अब किंग ऑफ पेन के नाम से मशहूर उद्योगपति एवं रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर कई बैंकों को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप है। बैंक अॉफ बड़ोदा की शिकायत पर सीबीआई ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमेटेड, उसके डायरेक्टर्स विक्रम कोठारी, साधना कोठारी और राहुल कोठारी और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। वहीं ईडी ने भी PMLA के तहत मामला दर्ज किया।

रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमेटेड पर ब्याज समेत कुल 3695 रुपये का बकाया है। रोटोमैक के मालिकों ने बैंक अॉफ इंडिया, बैंक अॉफ बड़ोदा, बैंक अॉफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, यूनियन बैंक अॉफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरिएंटल बैंक अॉफ कामर्स का कर्ज है। सीबीआई लखनऊ और ईडी की संयुक्त टीम ने सोमवार सुबह करीब 9 बजे तिलकनगर स्थित विक्रम कोठारी के आवास पर पहुंची। पांच सदस्यीय टीम ने कोठारी परिवार के सभी सदस्यों के पासपोर्ट और मोबाइल कब्जे में ले लिए हैं। उनके लैपटॉप, आईफोन और आईपैड भी की जांच चल रही है। घर के अलावा बिठूर स्थित फार्महाउस और सिटी सेंटर स्थित कार्यालय पर भी सीबीआई की टीमें जांच कर रही हैं। सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक विक्रम कोठारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, केवल सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। कारोबारी विक्रम की कंपनियों पर कई बैंकों की करीब 4 हजार करोड़ की देनदारी है। कुछ बैंकों ने रोटोमेक समेत कई कंपनियों को नीलाम करने का इस्तहार जारी किया है। शनिवार को रोटोमैक समूह के चेयरमैन उद्योगपति विक्रम कोठारी ने मीडिया के सामने आकर अपने बारे में उड़ रही अटकलों का खंडन किया था। उन्होंने कहा था कि कानपुर से ही इज्जत और नाम कमाया है।

ये देश मेरा है और अपना शहर व देश छोड़कर जाने की अटकलें कोरी अफवाह हैं। बैंकों का मुझ पर लोन है और इस संबंध में मामला एनसीएलटी में चल रहा है। बैंक और मैं एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं और मिलकर समाधान का रास्ता निकाल रहे हैं। व्यापारी हूं और बैंकों पर बकाया अपने कर्ज का पूरा भुगतान करूंगा। उन्होंने कहा कि कानपुर का रहने वाला हूं और कानपुर का निवासी हूं। इसी शहर से शोहरत कमाई है। इसे छोड़कर कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने आगे कहा कि भारत मेरा देश है और इसे कैसे छोड़ सकता हूं। बैंकों पर लोन का मामला स्वीकारते हुए कहा कि ये मामला एनसीएलटी में चल रहा है। एनसीएलटी कमेटी के साथ नियमित बैठक हो रही है। इस संबंध में बैंकों के साथ तीन बैठकें हो चुकी हैं। मैं और बैंक हर तरह से एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं और बैंकों के साथ मिलकर समाधान तलाश रहे हैं।

रोटोमैक समूह के चेयरमैन ने उम्मीद जताई कि वे जरूर किसी रास्ते पर निकलेंगे क्योंकि नीयत साफ है। बैंकों को बकाया रकम चुकाना है। व्यापार करते हैं और व्यापार ही करते रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक कोठारी पर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि कानपुर के कारोबारी कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 4000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया था। सूत्रों के अनुसार कोठारी को ऋण देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के पालन में ढिलाई की।

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इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी। जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है। बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार एक प्राधिकृत समिति ने 27 फरवरी 2017 को पारित आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया। पीएनबी घोटालाः नीरव मोदी के इस कारनामे से भारतीय बैंकों को लग सकती है इतनी बड़ी चपत गौरतलब है कि यह जानकारी ऐसे समय सामने आयी है जब महज एक सप्ताह पहले पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी खुलासा हुआ है। फिलहाल CBI ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की ब्रैडी रोड शाखा के समूचे परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया और गहन तलाशी अभियान शुरू किया।

क्या है विक्रम कोठारी का पूरा मामला

रोटोमैक कंपनी को 5 बैंकों इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ने लोन दिया था। इन बैंकों ने शर्तों से समझौता कर लोन पास किया था। विक्रम कोठारी पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया मुंबई शाखा की 485 करोड़, इलाहाबाद बैंक कोलकाता शाखा की 352 करोड़, बीओबी की 600 करोड़, बीओआई (लीड बैंक) की 1365 करोड़ और आईओबी की 1000 करोड़ रुपये की बकाएदारी है। बैंकों का आरोप है कि विक्रम कोठारी ने कथित तौर पर न लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया। इसपर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों पर एक ऑथराइज्ड जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लि. को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। कमेटी ने लीड बैंक की पहल पर यह आदेश पारित किया था।

13 अप्रैल 2017 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को उसकी उन संपत्तियों या किस्तों का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया जिनका बैंक ऑफ बड़ौदा को भुगतान किया गया है। कंपनी ने दलील दी कि रोटोमैक द्वारा चूक की तिथि के बाद से इस बैंक को 300 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्तियों की पेशकश किए जाने के बावजूद बॉब ने उसे इरादतन चूककर्ता घोषित कर दिया। बैंक की ओर से पेश हुईं वकील अर्चना सिंह ने कहा था कि कंपनी को अपने बकाए का निपटान करने के लिए 550 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। आरोप लगाया था कि कंपनी के निदेशक विक्रम कोठारी लोन रीपेमेंट से बचने के लिए दूसरी कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं। इसी बीच विक्रम कोठारी के देश छोड़कर भागने की खबरों के बीच शनिवार को कोठारी मीडिया के सामने आए और कहा कि वह कानपुर में ही हैं। उन्होंने कहा, ‘बैंकों ने मेरी कंपनी को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित किया है, न कि डिफॉल्टर। मामला अब भी नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में है। मैंने लोन लिया है और इसे जल्द वापस करूंगा।’

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