नई दिल्ली : जॉइंट फोरम फॉर अकेडमिक एंड सोशल जस्टिस के बैनर तले गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) सहित देशभर के सैकड़ों संगठनों ने विश्वविद्यालयों में विभागवार रोस्टर के खिलाफ मंडी हाउस से संसद मार्ग तक मार्च निकाला। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों और विधायकों ने न केवल इस आंदोलन को समर्थन दिया बल्कि शिक्षकों को आश्वासन दिया कि वह अपनी पार्टी के माध्यम से संसद में इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाएंगे।
साथ ही कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो भारत बंद का भी आह्वान करेंगे। वहीं डूटा के अध्यक्ष राजीव रे, उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार, सह सचिव आलोक पांडेय एसी मेंबर प्रो. हंसराज, प्रो. रतन लाल सहित अनेक शिक्षकों ने अपनी बातें रखी। रैली में हजारों की संख्या में शिक्षक जुटे। तदर्थ शिक्षकों को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे को लोकसभा और राज्यसभा में उठाने की वकालत करेंगे। यदि जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतर कर पूरे देश में आवाज उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले सत्र में नियुक्ति पर रोक लगाने और कोर्ट के फैसला आने तक इंतजार करने की बात कही थी, लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद अन्याय शुरू हो गया है। केंद्र सरकार को राज्यसभा में दिए वायदे के मुताबिक अभी के सदन के सत्र में अविलंब बिल लाए। वहीं आरजेडी से तेजस्वी यादव ने कहा कि रोस्टर के मुद्दे पर केंद्र सरकार तत्काल अध्यादेश लाए अन्यथा वह सरकार को ऐसा करने पर मजबूर कर देंगे।
रैली को समर्थन देने पहुंचे बड़े नेता… शिक्षकों को समर्थन देने पहुंची पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से तेजस्वी यादव, मीसा भारती, जयप्रकाश यादव, मनोज झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) सांसद डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सीताराम येचुरी, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, लोकतांत्रिक जनता दल के अली अनवर अंसारी, समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव, भीम आर्मी के चंद्रशेखर और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद्र यादव आदि शामिल रहे।