पश्चिमी दिल्ली: नौसिखिए निगम नेताओं व अधिकारियों के पागलपन के कारण निगम को करोड़ों का चूना लगने वाला है। लेकिन इससे न तो निगम नेताओं को ही सरोकार है और न ही सालों से निगम में बैठे अधिकारियों को। दरअसल पूरा मामला आर्थिक तंगी का रोना रो रहे नॉर्थ एमसीडी का है। यहां पर नेताओं व अधिकारियों की नासमझी के कारण लिए गए एक फैसले से निगम को लगभग तीन करोड़ का नुकसान होने वाला है। नॉर्थ एमसीडी ने निगम स्कूलों के शिक्षकों को स्कूल खुलने से दो दिन पूर्व ही स्कूल बुलाने का फैसला लिया है। इस फैसले के कारण निगम को हर शिक्षक को ट्रैवल एलाउंस के तौर पर मिलने वाली राशि अदा करनी होगी। यह राशि लगभग 3600 रुपए प्रति माह के हिसाब से दी जाती है। लेकिन शिक्षक एक दिन स्कूल आए या पूरे माह, उसे ट्रैवल अलाउंस पूरे माह का ही मिलता है।
इस हिसाब से निगम में लगभग आठ हजार परमानेंट शिक्षक हैं और इस पर जून माह का ट्रैवल अलाउंस लगभग तीन करोड़ दिया जाएगा। हैरान कर देने वाली बात है कि इस फैसले को महापौर ने भी मंजूरी दे दी है। निगम सूत्रों से मिली जानकारी से मुताबिक इस फैसले पर अपनी सहमति देने से नॉर्थ एमसीडी के एजुकेशन डायरेक्टर ने वित्तीय स्थिति का हवाला देकर मना कर दिया था। लेकिन आला नेताओं व कई रसूख वाले शिक्षक संघों के दवाब में आकर इस फैसले पर मुहर लगा दी गई है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस निगम में एजुकेशन डायरेक्टर के पद पर बैठे अधिकारी को ही महीनों सैलरी न मिलती हो, वहां पर निगम पर तीन करोड़ का वित्तीय भार डालना सवाल खड़े करता है।
बता दें कि 5 मई को जारी ऑफिस ऑर्डर में स्पष्ट किया गया था कि निगम स्कूल 1 जुलाई से ही खुलेंगे और बच्चे व शिक्षक 1 जुलाई से ही स्कूल आएंगे। इतना ही नहीं, जानकारी के मुताबिक निगम स्कूलों के प्रिंसिपलों ने बिना सिविक सेंटर से आदेश मिले ही बुधवार को ही शिक्षकों को स्कूल बुलाया। पूरे मामले पर जब हमने नॉर्थ एमसीडी की महापौर प्रीति अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि शिक्षकों को पहले बुलाने का कल्चर रहा है। हम इसे खत्म नहीं कर सकते। मैं किसी भी कल्चर को एकदम से खत्म नहीं कर सकती। यह कोई पहली बार नहीं किया गया है।
– राजेश रंजन सिंह