पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि पत्रकार प्रिया रमानी ने जनहित में ‘‘मानहानिकारक’’ बयान नहीं दिए, बल्कि प्रतिशोध में ऐसा किया। अकबर ने अंतिम दलील के दौरान अपने वकील के जरिए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) विशाल पाहुजा के समक्ष यह बयान दिया। अकबर ने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज करायी थी। उसी मामले में यह सुनवाई चल रही है।
‘मी टू’ मुहिम के दौरान रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने लगभग 20 साल पहले उस समय यौन उत्पीड़न किया था, जब वह पत्रकार थे। अकबर की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील गीता लूथरा ने अदालत से कहा, ‘‘रमानी ने ये बयान (अकबर ने जिसे मानहानिकारक कहा है) लोगों की भलाई के लिए नहीं दिए बल्कि उन्होंने प्रतिशोध में ऐसा किया। उन्होंने (रमानी) तथ्यात्मक रूप से गलत बयान के लिए खेद भी नहीं जताया।’’
वकील ने कहा, ‘‘रमानी लैंडलाइन फोन के रिकार्ड, पार्किंग की रसीद, सीसीटीवी फुटेज कुछ भी नहीं पेश कर पायीं। अपनी कहानी को साबित करने के लिए उन्होंने कोई प्रमाण तक पेश नहीं किया।’’ वकील ने दावा किया कि रमानी ने ‘मी टू’ मुहिम के दौरान गलत मंशा से ‘वोग’ पत्रिका में यह सब लिखा क्योंकि वह अकबर की प्रतिष्ठा को धूमिल करना चाहती थीं।
अकबर ने मार्च 2018 में रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज करायी थी। केंद्रीय मंत्री पद से उन्होंने 17 अक्टूबर 2018 को इस्तीफा दे दिया था। अकबर ने ‘मी टू’ मुहिम के दौरान लगाए गए यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों से इनकार किया है। कई महिलाओं ने अकबर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे, जब वे पत्रकार के तौर पर उनके तहत काम करती थीं।
अकबर ने आरोपों को ‘मिथ्या, बनावटी और व्यथित करने वाला’ बताया था और कहा था कि वह आरोप लगाने वालों के खिलाफ उचित कानूनी कदम उठा रहे हैं ।