देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने वंदेमातरम पर तीखी टिप्पणी की है। यह बात नायडू ने विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल की पुस्तक के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को लेकर विवाद होता है। अगर मां को सलाम नहीं कहा जाएगा तो क्या अफजल गुरु को कहा जाएगा?
वहीं, उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर भी जिक्र किया और कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। आंदोलन सिर्फ एक स्थल पर ऐतिहासिक व पौराणिक दावे तक सीमित था।
नायडू ने कहा कि पूरे देश से आए कारसेवकों ने एक भी मुस्लिम धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की। वेंकैया नायडू के अनुसार, किशोरावस्था से ही आजीवन प्रचारक रहे अशोक सिंघल हिंदू संस्कृति और गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए काम करते रहे।
उन्होंने भारतीय संस्कृति को समावेशी बताते हुए कहा कि अंग्रेजों के शासन से पहले दुनिया के जीडीपी में भारत का हिस्सा 27 फीसदी था। इसके बावजूद भारत ने किसी पर हमला करने की कोशिश नहीं की। उनका कहना है अक्सर लोग राष्ट्रवाद पर सवाल करते हैं। कई लोगों को वंदेमातरम से भी समस्या होती है। इसका मतलब तो मां की प्रशंसा करना होता है। यह किसी तस्वीर के बारे में नहीं है। ये तो 125 करोड़ लोगों के बारे में है फिर चाहे उनका धर्म, जाति या रंग कुछ भी हो। “
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू एक संस्कृति और जीवन पद्धति है, जो गंगा जैसी विशाल है। जो सभी धर्मों को मिलजुलकर सद्भावना के साथ रहने की प्रेरणा देती है।
एक घटना का जिक्र करते नायडू बोले की विदेश से आए लोग अपनी भाषा में बातें कर रहे थे। नायडू ने अपने सहयोगी से पूछा कि क्या इन लोगों को इंग्लिश नहीं आती? सहयोगी ने बताया कि अंग्रेजी आती है लेकिन ये लोग अपनी मातृभाषा में बोलना पसंद करते हैं।
नायडू ने कहा कि हम लोगों को भी अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। दुनिया की कोई भी भाषा सीखो लेकिन अपनी भाषा का सम्मान करो और उसे किसी से कम मत समझो।
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