नई दिल्ली : भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर रविवार को प्रदेश भाजपा ने ‘बलिदान दिवस’ के उपलक्ष्य में शहीदी पार्क में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा मुख्य रूप से मौजूद रहे। इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने नारे लगाते हुए कहा कि, ‘जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है, वह कश्मीर हमारा है, सारे का सारा हमारा है।’ इस अवसर पर नड्डा ने कहा कि डॉ. मुखर्जी प्रखर राष्ट्रवाद, दूरदृष्टा, दिशा देने वाले और नदी का मुख मोड़ने वाले हमारे नेता थे।
वे किसी पद के मोहताज नहीं थे, बल्कि देश सेवा ही उनका परम लक्ष्य था। उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री पर निशाना साधते कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने डॉ. मुखर्जी को अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया, लेकिन नेहरू की तुष्टिकरण की नीति और नेहरू-लियाकत अली पैक्ट के विरोध में उन्होंने अपना इस्तीफा देकर देश की एकता, अखंडता के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
नड्डा ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने पूरी दृढ़ता के साथ कहा था भारत के तिरंगे का सम्मान होना चाहिए और एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि जहां देश की विभिन्न रियासतों को एकजुट करने में सरदार बल्लभभाई पटेल की कूटनीति काम आई। वहीं कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए डाॅ. मुखर्जी के बलिदान को चिरकाल तक याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर आजादी के तुरन्त बाद बनी केन्द्र सरकार ने उनके सुझावों पर कार्य किया होता तो कश्मीर की वर्तमान समस्या जन्म ही न लेती।
कार्यक्रम में नहीं पहुंचे कई प्रदेश नेता
रविवार को प्रदेश भाजपा के द्वारा आयोजित किसी कार्यक्रम में नड्डा पहली बार पहुंचे थे, लेकिन इसमें दिल्ली के सांसद हंसराज हंस और गौतम गंभीर दोनों ही नहीं पहुंचे। वहीं राज्यसभा सांसद विजय गोयल भी कार्यक्रम में नहीं दिखे। इनके अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष, मंत्री और मोर्चा अध्यक्ष भी नदारद रहे।
पोस्टर पर लिखी गलत तारीख…
हैरान करने वाली बात यह है कि वास्तव में तो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि 23 जून को होती है, लेकिन दिल्ली गेट से आईटीओ के बीच खंभों पर लगे पोस्टरों में 22 जून दी गई। सवाल यह है कि इतने बड़े आयोजन की देखरेख में तारीख को लेकर चूक क्यों बरती गई।
सिद्धार्थन जब बैठ गए नीचे…
प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन ने रविवार को सादगी की एक और मिसाल पेश की। दरअसल शहीदी पार्क में अपेक्षित नेता भले ही न पहुंचे हों, लेकिन कार्यकर्ता कुर्सी से अधिक पहुंच गए। ऐसे में सिद्धार्थन खुद आगे बढ़ते हुए घास पर जाकर बैठ गए इसके बाद कार्यकर्ता भी बैठ गए।