बंबई उच्च न्यायालय ने जानना चाहा है कि दिवंगत कांग्रेस नेता पवनराजे निंबालकर की पत्नी साल 2006 में हुई अपने पति की हत्या के मामले में गवाह के तौर पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से पूछताछ करने की मांग कर रही है जबकि जांच एजेंसी सीबीआई ने ऐसी मांग क्यों नहीं की?
न्यायमूर्ति ए एम बदर निंबालकर की पत्नी आनंदीदेवी की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर रहे थे जिसमें उन्होंने मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पूछताछ से हजारे को छूट देने के सत्र अदालत के 12 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सत्र अदालत में एक अर्जी दायर कर हजारे को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर शामिल करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
राज्य के पूर्व मंत्री पदमसिंह पाटिल पर राजनीतिक दुश्मनी के कारण निंबालकर की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पहले दावा किया था कि हजारे मुख्य गवाह हैं जो अपराध के पीछे के मकसद को साबित कर सकते हैं। पाटिल ने हजारे को भी धमकी दी थी।
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बहरहाल, न्यायमूर्ति ए एम बदर ने पूछा कि क्यों सीबीआई आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय नहीं गई और उसके बजाय पीड़ित की पत्नी ने याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को याचिका और अदालत के सवाल पर जवाब देने के लिए हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तारीख तय की।
ऐसा आरोप है कि पाटिल ने निंबालकर की हत्या के लिए भाड़े के हत्यारों को 30 लाख रुपये दिए थे। निंबालकर की तीन जून 2006 को नवी मुंबई के कलंबोली में उनके ड्राइवर के साथ गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पाटिल को गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।