नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से वेंटीलेटर का टोटा है लेकिन इसे दूर करने के लिए सरकार का किया वादा इस साल पूरा नहीं हो पाया। इस साल एक भी वेंटीलेटर अस्पताल को नहीं मिला है। जबकि पिछले वर्ष दिसंबर में मिले 125 वेंलेटटीर में से कई डिब्बे में बंद पड़े हैं। बावजूद इसके वेंटीलेटर की मांग लगातार अस्पतालों में बढ़ रही है। पिछले छह महीने की बात करें तो चार नवजात शिशुओं की वेंटीलेटर के अभाव में मौत होने और उसे लेकर हंगामे की खबरें भी आती रहीं। लेकिन साल के अंत तक हालात बदले नहीं है। आलम यह है कि दिल्ली के एकमात्र बच्चों के अस्पताल चाचा नेहरु, दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल और डीडीयू में वेंटीलेटर की कमी बनी हुई है। बेबस मरीज अस्पताल में बैठे अंबु बैग के सहारे अपने मरीज की जान बचाने में लगे हुए हैं।
200 से ज्यादा वेंटीलेटर आने थे अस्पताल
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अस्पतालों में वेंटीलेटर की मांग को देखते हुए सरकार ने 200 उपकरणों की खरीद का फैसला लिया था। लेकिन इस पर अमल कितना हुआ? इस सवाल पर अधिकारी ने भी सहमति जताते हुए बजट की परेशानी को गिनाया। हालांकि उन्होंने बताया कि इस समय दिल्ली के 38 अस्पतालों में 206 वेंटीलेटर हैं। इनमें से करीब 170 वेंटीलेटर बराबर काम कर रहे हैं। बाकी को भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
10 हजार बेड पर 2 हजार वेंटीलेटर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अस्पतालों में बिस्तरों के अनुसार वेंटीलेटर उपलब्ध कराने का नियम रहता है। एम्स के पूर्व आरडीए अध्यक्ष डॉ. विजय गुर्जर बताते हैं कि एम्स ट्रामा सेंटर में 210 बेड हैं, जहां 60 वेंटीलेटर हैं। यहां भी 30 फीसदी से ज्यादा वेंटीलेटर की कमी बनी हुई है। जबकि फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विवेक चौकसे बताते हैं कि दिल्ली के 38 अस्पताल में 10 हजार बेड की व्यवस्था है।
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