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सरकार के ‘छात्र विरोधी’ कदमों के खिलाफ एनएसयूआई ने निकाली रैली

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने राजग सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और कथित छात्र विरोधी कदमों के विरोध में मंगलवार को विरोध मार्च निकाला।

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने राजग सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और कथित छात्र विरोधी कदमों के विरोध में मंगलवार को विरोध मार्च निकाला। 
पुलिस ने मार्च में शामिल लोगों को हालांकि तितर-बितर कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने जंतर-मंतर पर डीटीसी की एक बस को क्षतिग्रस्त कर दिया।
मंडी हाउस से ‘छात्र अधिकार’ रैली की शुरुआत हुई। देश के विभिन्न हिस्सों से आये एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने संसद भवन की ओर मार्च किया। पुलिस ने उन्हें जय सिंह मार्ग पर वाईएमसीए के निकट रोक लिया। 
कुछ प्रदर्शनकारी सड़क पर ही बैठ गये और सड़क जाम करने का प्रयास किया। पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने उन्हें वहां से हटाया। 
नेशनल स्टूडेन्ट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के नेताओं ने दावा किया कि उनके चार सदस्य घायल हो गये क्योंकि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल का इस्तेमाल किया। 
एनएसयूआई की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने दावा किया, ‘‘पुलिस ने हमारे कई सदस्यों की पिटाई की। कई सदस्यों को पार्लियामेंट स्ट्रीट और मंदिर मार्ग पुलिस थानों में हिरासत में रखा गया।’’ 
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं किया गया। 
उन्होंने कहा, ‘‘जब प्रदर्शनकारी संसद की ओर बढ़ रहे थे और पुलिस के रोके जाने पर सड़क जाम करने का प्रयास कर रहे थे तो उनमें से लगभग 35 को पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस थाने में हिरासत में रखा गया था।’’ 
उन्होंने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की एक बस की खिड़की के शीशे तोड़ दिये। 
इससे पूर्व एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक मार्च निकाला जहां विरोध मार्च एक जनसभा में बदल गया। 
सभा को संबोधित करते हुए एनएसयूआई नेताओं ने शुल्क वृद्धि, परिसरों के भगवाकरण, शिक्षा के निजीकरण और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर राजग सरकार पर निशाना साधा। 
कांग्रेस नेता दीपेन्द्र हुड्डा ने इस मौके पर कहा कि शुल्क वृद्धि और मोदी सरकार द्वारा शिक्षा के निजीकरण की वजह से गरीब छात्र उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित हो रहे हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण छात्रों और युवाओं के सामने रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार शुल्क वृद्धि करके उच्च शिक्षा हासिल करने से गरीबों को रोक रही है।’’ 

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