नई दिल्ली : अधिकार क्षेत्र को लेकर कुछ समय पूर्व आए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के निर्णय बाद भी अधिकारों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते दिल्ली सरकार में पार्किंग नीति तथा ऑटो किराये में बढ़ोतरी वाले फैसले फाइलों में उलझते दिखायी दे रहे हैं। इन्हें लेकर परिवहन विभाग ने सरकार को जानकारी दी है कि इन्हें लागू करने के संबंध में उपराज्यपाल के आदेश पर ही अधिसूचना जारी हो सकती है।
जबकि दिल्ली सरकार अपनी इस बात पर कायम है कि जब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने साफ कह दिया है कि अब उपराज्यपाल से अनुमति की जरूरी नहीं है तो ऐसी स्थिति में फाइल उपराज्यपाल के पास क्यों जाएगी? इसी किन्तु परंतु के चलते दोनों फाइलें दिल्ली सरकार के पास हैं। सरकार ने एलजी के पास फाइल भेजने की जरूरत से इंकार किया है।
बता दें कि सरकार ने पहले से तैयार दिल्ली मेंटेनेंस एंड मैनेजमेंट ऑफ पार्किंग रूल्स-2017 के मसौदे में कई बदलाव किए हैं। जनता को जिन बातों से आपत्ति थी उन्हें हटा दिया गया है। जिसमें मुख्यरूप से घर के बाहर कार खड़ी करने लगने वाले शुल्क का प्रस्ताव भी हटाया गया है। लेकिन इसे अंतिम रूप देने में पेच फंस गया है। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इस बदलाव पर जनता से सुझाव लेने और इससे पहले उपराज्यपाल से मंजूरी लेने की शर्त जोड़ दी है। लेकिन सरकार को यह शर्त मंजूर नहीं है।
इसके चलते नई पार्किंग पॉलिसी पर अभी फैसला नहीं हो सका है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के हाल में आए फैसले का हवाला देते हुए परिवहन विभाग को निर्देश दिया है कि परिवहन रिजर्व विषय नहीं है, इसलिए फाइलों को उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा जाए। परिवहन विभाग ने मोटर व्हीकल एक्ट-1988 का हवाला देते हुए उपराज्यपाल की मंजूरी भी जरूरी बताया है।