आचार्य सभा के महासचिव स्वामी परमात्मानंद सरस्वती महाराज ने कंप्यूटर बाबा पर संतों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कंप्यूटर बाबा जैसे लोग सार्वजनिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत हित के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। संत समाज में उनका कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं है।
कंप्यूटर बाबा को हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने मंत्री का दर्जा दिया था। कुछ माह बाद कंप्यूटर बाबा ने प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए इस्तीफा दे दिया और सरकार पर प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली पवित्र नदी नर्मदा के संरक्षण के लिये कुछ भी अच्छा काम नहीं करने का आरोप लगाया।
सोमवार रात को पत्रकार वार्ता में स्वामी परमात्मानंद महाराज ने कंप्यूटर बाबा के शिवराज सरकार के विरोध पर कहा, ”कंप्यूटर बाबा जैसे लोग सार्वजनिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत हित के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। संत समाज में उनका कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं है।”
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मध्यप्रदेश और देशभर के कई प्रमुख संतों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा धार्मिक मामलों में किये गये कार्यों पर सोमवार रात को संतुष्टि जताई और मुख्यमंत्री का सम्मान किया। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कंप्यूटर बाबा के विरोध की वजह से कुछ संतों ने इकठ्ठे होकर मुख्यमंत्री चौहान का सम्मान किया है।
संत सभा ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिये 1,600 करोड़ रुपये की लागत से नर्मदा किनारे जल मल शोधन संयंत्र लगाने के प्रयास शुरु करने, आदि शंकराचार्य यात्रा करने और मंदिर के पुजारियों का मानदेय बढ़ाने के लिये मुख्यमंत्री चौहान की प्रशंसा की।
कांग्रेस द्वारा राज्य की सत्ता में आने पर गांवों में गौशाला बनाने की घोषणा के बारे में पूछने पर स्वामी ने कहा कि ऐसा होता है तो संत समुदाय उनका भी सम्मान करेगा। इस मौके पर संत सभा ने मुख्यमंत्री चौहान को चौथी बार फिर से सरकार बनाने का आशीर्वाद भी दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चौहान ने उनकी सरकार द्वारा धार्मिक क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों का जिक्र किया और नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान उनकी आलोचना करने वालों की निंदा भी की।