दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें किन्नरों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अपने लिए अलग से शौचालय बनाए जाने की मांग की। दायर याचिका में कहा गया है कि उनके लिए अलग शौचालय आवश्यक हैं ताकि वे यौन हमले एवं उत्पीड़न का शिकार नहीं बनें।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किये हैं। इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि लैंगिक आधार पर शौचालय नहीं होना उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस याचिका पर आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद्, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किये हैं। इन सभी को 13 सितंबर से पहले नोटिस के जवाब देने का निर्देश दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि लैंगिक आधार पर शौचालय नहीं होना उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है।
प्राधिकरणों के वकील ने निर्देश हासिल करने और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर तय की। कानून की अंतिम वर्ष की छात्रा जसमीन कौर छाबड़ा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने धन जारी कर दिया है लेकिन दिल्ली में किन्नरों या तृतीय लिंगी समुदाय के लिए अलग शौचालय नहीं बनाए गए हैं। इसमें बताया गया है कि मैसूर, भोपाल और लुधियाना में उनके लिए अलग शौचालय पहले ही बनाए जा चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में अभी तक इस दिशा में पहल नहीं की गई है।