दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से बुधवार को कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के मरीजों के लिये 20 प्रतिशत बिस्तर सुरक्षित रखने संबंधी निर्देश निरस्त करने के लिये दायर याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लेकर उस पर विचार करे।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जैन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से इस मामले पर विचार करने से गुरेज किया क्योंकि अदालत में आने से पहले याचिकाकर्ता चिकित्सक ने इस बारे में सरकार को कोई प्रतिवदेन नहीं दिया था।
पीठ ने अंशुमन कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि इस प्रतिवेदन पर यथाशीघ्र व्यावहारिक, कानूनी प्रावधानों और सरकार की नीति के अनुरूप निर्णय लिया जाये। पीठ ने इसके साथ ही इस याचिका का निस्तारण कर दिया। इस याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार का 24 मई का आदेश केन्द्र के 28 मार्च के परामर्श के विपरीत है जिसमें कोरोना के मरीजों के इलाज के लिये अलग से अस्पताल या फिर अस्पताल के भीतर एक अलग ब्लाक का सृजन करने की सलाह दी थी जिसमें प्रवेश और निकास का रास्ता एकदम अलग हो।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि अगर निजी अस्पतालों और नर्सिेंग होम्स में कोरोना के मरीजों के लिये 20 प्रतिशत बिस्तर सुरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के 24 मई के निर्देश का पालन किया गया तो इससे कोरोना संक्रमित और गैर संक्रमित मरीज आपस में मिलेंगे जिससे यह संक्रमण ज्यादा फैलेगा।