नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के भीतर राजनीति इस कदर चरम पर पहुंच चुकी है, कि उसका हल आलाकमान को निकालना जरूरी हो गया है। अन्यथा पार्टी किस ओर जाएगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। एक तरफ अभी तक प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा लगातार टल रही है, दूसरी तरफ प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को लेकर कांग्रेस में घमासान मचा है। पीसी चाको को लेकर कांग्रेस के भीतर दोनों गुट लामबंदी में लगे हैं।
एक गुट चाको को प्रदेश प्रभारी पद से हटाने के लिए एड़ी-चोटी किए है तो दूसरी गुट उसको बचाने में लगा है। दिल्ली के जिलाध्यक्षों का एक बड़ा गुट चाको के समर्थन में खड़ा है। पहला गुट चाको के खिलाफ खुल कर मैदान में है, जबकि दूसरे गुट के वरिष्ठ नेता फ्रंट पर नहीं आ रहे हैं, लेकिन जिलाध्यक्ष जरूर चाको के समर्थन में खड़े हैं। सूत्रों का कहना है कि चाको का यह मामला अभी और बढ़ेगा।
तीन दिन पहले पूर्व मंत्रियों के एक दल ने चाको के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी मंशा साफ कर दी है। उसके अगले दिन यानी की शनिवार को उसके जवाब में प्रदेश के जिलाध्यक्षों के दल ने चाको के समर्थन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख दी है। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने इस चिट्ठी को एआईसीसी की अनुशासनात्मक समिति को भेज दी है। गौरतलब है कि शीला दीक्षित के निधन के बाद अभी तक नए अध्यक्ष के नाम पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
इसी बीच शीला दीक्षित के पुत्र व सांसद संदीप दीक्षित ने उनकी मौत के लिए प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को आरोपी ठहरा दिया। संदीप दीक्षित द्वारा लिखी चिट्ठी मीडिया में लीक हो गई। उसके बाद तो पार्टी के भीतर राजनीति तेज हो गई, शीला समर्थित गुट पूरी तरह से पीसी चाको को हटाने में जुट गया है। यह गुट चाको को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में है।
सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में पार्टी के भीतर बड़ा धमाका हो सकता है? इसमें दोनों चीजें हो सकती हैं, चाको को भी हटाया जा सकता है और चाको की खिलाफ करने वाले कांग्रेसियों को भी? अब देखना होगा की आने वाले दिनों में दिल्ली कांग्रेस की राजनीति किस करबट बैठती है।