नयी दिल्ली : माकपा ने कोयला क्षेत्र का निजीकरण करने के केन्द्र सरकार के फैसले की आलोचना करते हुये कहा है कि इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा की अनदेखी होगी। माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से आज जारी बयान में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कल के इस फैसले को सरकार की नवउदारवादी आर्थिक नीतियों का नतीजा बताया है। पार्टी ने कहा कि इस तरह की नीतियां कामगारों की सुरक्षा के साथ समझौते को भी बढ़ावा देंगी। माकपा पोलित ब्यूरो ने कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के आक्रामक पालन का हिस्सा है। माकपा ने कोयला क्षेत्र के निजीकरण को सरकार की खतरनाक पहल बताते हुये कहा कि इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा के साथ समझौता तो होगा ही, साथ ही कोयला खदानों में कार्यरत कामगारों की सुरक्षा एवं रोजगार संरक्षण के साथ भी समझौता होगा।
कर्मचारी संगठन और वाम दल इस तरह की खतरनाक पहल के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला खदानों के दरवाजे निजी क्षेत्र के लिये भी खोलने को कल मंजूरी दे दी। सरकार ने 1973 में कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण करने के बाद आर्थिक सुधार कार्यक्रम के तहत निजी क्षेत्र को अब कोयला खदानों के व्यवसायिक इस्तेमाल की छूट दे दी है।
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