नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट में 130 बच्चों की रि-एडमिशन की गुहार लगाते हुए जनहित याचिका लगाई गई है। याचिका गैर सरकारी संगठन सोशल जूरिस्ट ने बच्चों की ओर से दाखिल की है। याचिका के तहत राइट टू एजुुकेशन का हवाला देते हुए एक आरटीआई का भी खुलासा किया गया है। इस आरटीआई के मुताबिक दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों पर आरोप लगाया गया है कि 2018-19 अकैडमिक सेशन के करीब 1 लाख बच्चों को सरकारी स्कूल ही बहाना बनाकर दोबारा दाखिला नहीं दे रहे हैं।
बल्कि फ्रेश एडमिशन के साथ भी खिलवाड़ कर रहे रहे हैं। रि-एडमिशन न देने का यह मामला एक अकैडमिक वर्ष का है। अगर पिछले कुछ सालों का आंकड़ा एकत्र किया जाए तो संख्या काफी बढ़ जाएगी। याचिका में इन बच्चों को दोबारा एडमिशन देने की मांग की गई है। इस मामले पर चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनवाई 22 अप्रैल निर्धारित की है।
बहुत बुरा हाल स्कूलों का
जहां दिल्ली सरकार स्कूलों को बेहतर करने का दावा कर रही हैं। वहीं इस आरटीआई से उसके स्कूलों में एडमिशन को लेकर बुरा हाल है। संस्था के वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि अभी तो 130 बच्चों की लिस्ट याचिका के साथ सम्मिलित की गई है। यह लिस्ट आगे बढ़ने वाली है। उन्होंने बताया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के 9वीं और 12वीं कक्षा के 2018-19 सेशन में 1,55,736 फेल स्टूडेंट्स में से 52582 स्टूडेंट्स को ही रि-एडमिशन की ग्रांट दी गई।
जबकि 1,03,154 बच्चों को एजुकेशन से स्कूलों द्वारा ही वंचित कर दिया गया। याचिका में कहा गया है कि 2018-19 सेशन में 9वीं कक्षा में 52 फीसदी, 10वीं में 91 फीसदी, 11वीं में 58 फीसदी और 12वीं में 91 फीसदी बच्चों को स्कूलों ने पढ़ाने से मना करते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
दो बार फेल होने पर नहीं दाखिला
दिल्ली सरकार ने चीफ जस्टिस की बेंच के आगे ही हलफनामा दायर करते हुए कहा कि जो स्टूडेंट़्स लगातार दो साल फेल हो जाएगा। उसे दिल्ली सरकार के स्कूल में रेगुलर रूप से दाखिला नहीं मिलेगा। यह हलफनामा गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की कमजोर छात्रों को 12वीं तक शिक्षा का अधिकार देने का फैसला लेने का निर्देश देने की मांग वाली इसी प्रकार की एक याचिका पर दिल्ली सरकार की ओर से दायर किया गया है।
– इमरान खान