भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने रिजर्व बैंक द्वारा दबाव वाली संपत्तियों के निपटान के लिए जारी नये सर्कुलर प्रावधान की सराहना की। संघ के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि इसे जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और इससे बैंकों को फैसले लेने में अधिक आजादी मिलेगी।
दो महीने पहले उच्चतम न्यायालय ने इस बारे में रिजर्व बैंक के 12 फरवरी के सर्कुलर को रद्द कर दिया था। शुक्रवार को केंद्रीय बैंक ने दबाव वाली संपत्तियों के निपटान के लिए एक संशोधित ढांचा पेश करते हुए बैंकों को किसी खाते को गैर निष्पादित परिसंपत्ति का ‘दर्जा’ देने के लिए 30 दिन का समय दिया है।
मेहता ने शनिवार को यहां एक संगोष्ठी के मौके पर अलग से बातचीत में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक का सर्कुलर स्वागतयोग्य कदम है। इससे बैंकों को अधिक आजादी मिली है। निर्देश देने के बजाय यह सर्कुलर प्रावधान की जरूरत पर केंद्रित है। इससे बैंक समय पर फैसले लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे।’’ मेहता ने कहा, ‘‘इससे विभिन्न अंशधारकों के लिए काफी चीजें साफ हुई हैं।’’