नीट-पीजी 2021 क्वालिफायर की काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए पिछले 11 दिनों से विरोध कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूत्रों के अनुसार, आंदोलनकारी डॉक्टरों के खिलाफ दंगा करने, पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
रेजिडेंट डॉक्टरों ने SC के खिलाफ विरोध मार्च
रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विरोध मार्च निकाला, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। चूंकि डॉक्टरों को अपना मार्च जारी रखने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उन्होंने विरोध दर्ज करने के लिए सड़क पर अपना एप्रन सरेंडर कर दिया। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट तक मार्च के दौरान उनकी पिटाई की गई और उन्हें घसीटा गया।
7 पुलिसकर्मी घायल, 2 बसें क्षतिग्रस्त
पुलिस ने कहा कि हंगामे के दौरान उनके सात कर्मी घायल हो गए, साथ ही 2 बसें क्षतिग्रस्त हो गईं। अतिरिक्त डीसीपी (मध्य जिला) रोहित मीणा ने बताया कि हमने 12 डॉक्टरों को हिरासत में लिया लेकिन बाद में उन्हें एक घंटे में छोड़ दिया गया था। बाद में सोमवार को रेजिडेंट डॉक्टरों ने उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद दिल्ली के अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने का आह्वान किया।
चिकित्सा बिरादरी के इतिहास में बताया काला दिन
बयान में कहा गया है, फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने चिकित्सा बिरादरी के इतिहास में इसे ‘काला दिन’ बताते हुए कहा कि आज से सभी स्वास्थ्य संस्थानों को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। हम इस क्रूरता की कड़ी निंदा करते हैं और अपने फोर्डा प्रतिनिधियों और रेजिडेंट डॉक्टरों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं।
आरएमएल अस्पताल आरडीए के महासचिव डॉ सर्वेश पांडे ने बताया कि उन्हें सरोजिनी नगर पुलिस स्टेशन में तब हिरासत में लिया गया था जब वे स्वास्थ्य मंत्री के आवास जा रहे थे, लेकिन देर रात उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि, पुलिस ने डॉक्टर के बयान का खंडन किया और कहा कि बाद में शाम को किसी को हिरासत में नहीं लिया गया था।