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दूसरों के लिए मिसाल और प्रेरणा बनीं सात महिलाओं को सम्मान

दिल्ली के वीके कृष्णा मेनन भवन में अधिवक्ता परिषद दिल्ली और सुप्रीम कोर्ट यूनिट की ओर से सोमवार को इंटरनेशनल वूमन डे के उपलक्ष्य में आयोजन किया गया।

नई दिल्ली : दिल्ली के वीके कृष्णा मेनन भवन में अधिवक्ता परिषद दिल्ली और सुप्रीम कोर्ट यूनिट की ओर से सोमवार को इंटरनेशनल वूमन डे के उपलक्ष्य में आयोजन किया गया। इस सेमिनार में इंडियन कंस्टीट्यूशन में महिलाओं की भूमिका पर भी चर्चा की गई। और सामाज से हटकर अपने कार्य से पहचान बनाने वाली 7 महिलाओं को बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुईं सुप्रीम कोर्ट जज इंदू मल्होत्रा ने सम्मानित किया।

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा को भी उनके किए गए विशेष कार्यों के लिए सम्मान दिया गया। इस सेमिनार में विशिष्ठ अतिथि के तौर पर हाईकोर्ट की जज ज्योति सिंह उपस्थित रहीं। जबकि नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन सदस्य ज्योतिका कालरा, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया माधवी दीवान व पिंकी आनंद और सीनियर एडवोकेट पीएच पारेख ने अपने विचार ‘द सी ऑफ इंडियन कंस्टीट्यूशन’ विषय को लेकर प्रकट किए।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर और वंदे मातरम गाकर की गई। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की पहली वूमन जज इंदू मल्होत्रा का गुलदस्ता देकर और शाॅल भेंट कर अधिवक्ता परिषद की ओर से स्वागत किया गया। इसी प्रकार ज्योतिका कालरा, पिंकी आनंद, ज्योति सिंह का भी मंच पर स्वागत किया गया।

सभी ने मिसाल कायम की… सीनियर एडवोकेट और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया पिंकी आनंद ने युवा महिलाओं को नसीहत दी कि लोग मंजिल को मुश्किल समझ लेते हैं। हम मुश्किल को मंजिल समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि मंच पर सभी मौजूद महिलाओं का परिचय देने की जरूरत नहीं है। सभी ने अपने आप को साबित कर मिसाल कायम की है। दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनी हैं। जिंदगी में चैलेंज से भागना नहीं चाहिए।

बल्कि उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे तो परिणाम बेहतर ही आएंगे। उन्हाेेंने कहा कि राजनीति में भी अब महिलाओं का एक अलग ही रोल है। महिलाओं की सफलता का राज यह है कि वह कभी महत्वाकांक्षी नहीं होती। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सचेत नहीं है।

सजगता की कमी ही उनके सशक्तिकरण के मार्ग में रोडे़ अटकाने का काम करती है। अशिक्षित महिलाओं को तो भूल जाइए, शिक्षित महिलाएं भी कानूनी दांव-पेंच से अनजान होने की वजह से जाने-अनजाने में हिंसा सहती रहती हैं। ऐसे में महिलाओं को कानूनी रूप से शिक्षित करने के लिए मुहिम शुरू करना वक्त की जरूरत बन गई है।

द सी ऑफ इंडियन कंस्टीट्यूशन पर की चर्चा
सबसे पहले एडिशन सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया माधवी दीवान ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने भारतीय संविधान को बनाने वाली उल्लेखनीय महिलाओं का उदाहरण देकर अपने विचाराें से प्रेरणा दी। ज्योतिका कालरा ने इकोनॉमिक्स डेवलपमेंट में महिलाओं की भागीदारी को लेकर इस विषय के तहत अपने विचार प्रकट किए। जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने न्यायापालिका का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं को अब समान अधिकार मिलने पर अपने विचार व्यक्त किए।

सबसे अहम उन्होंने राइट टू एजुकेशन पर महिलाओं को फोकस करने की सलाह दी। उन्होंने रूलर वूमन को भी आगे बढ़ने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हर महिलाओं को संवैधानिक अधिकारों की जानकारी पता होने पर अपने विचार प्रकट किए और महिलाओं को उनके अधिकारों के तहत परिचित भी कराया। उन्होंने कहा कि अब महिलाओं को समान वेतन का अधिकार, नाम न छापने का अधिकार, घरेलु हिंसा के खिलाफ अधिकार, मातृत्व संबंधी लाभ के अधिकार और कानून की मदद का अधिकार दिया जा रहा है। उन्हें इन अधिकारों से संबंधित जानकारी होनी चाहिए।

महिलाओं को अगर जानकारी होगी, तो इससे भारतीय संविधान में भी आगे बदलाव लाने में मदद मिल सकेगी। उन्होंने युवा महिलाओं को प्रेरित किया कि हाथ से हाथ मिलाकर चलने से ही आगे राह बनेगी। उन्होंने कहा कि शादी के बाद महिलाओं को अपने पेशे से दूर नहीं जाना चाहिए। महिलाएं अब अस्थाई आबादी नहीं रहीं हैं। उन्होंने महिलाओं को सपोर्ट करने वाले पुरुषों की भी तारीफ की। जबकि सीनियर एडवोकेट पीएच पारेख ने कहा कि वह महिलाओं के इस कार्यक्रम में अकेले पुरुष स्पीकर हैं। जो महिलाओं के सम्मान में बोल रहे हैं। उन्होंने भी अपने महिलाओं के प्रति विचारों से युवा अधिवक्ताओं को प्रेरित किया।

इन महिलाओं का किया सम्मान… विशेष कार्यक्षेत्र में योगदान देने के लिए अधिवक्ता परिषद दिल्ली और सुप्रीम कोर्ट यूनिट ने 7 महिलाओं को इंटरनेशनल वूमन डे पर सम्मानित करने के लिए चयनित किया। इस चयनित लिस्ट में सबरीमाला मामले को उठाने वाली और अभी राष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग से जुड़ी प्रज्ञना, यूनिसेफ के लिए कार्य करने वाली जर्नलिस्ट निशी भट्ट, नवदृष्टि एनजीओ से समाज के लिए कार्य कर रहीं नीतू सिंघल, इंटरनेशनल पैरा एथलीट श्वेता शर्मा, माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली ओल्डेस्ट वूमन और एनजीओ से समाज के हित के लिए कार्य कर रहीं संगीता बहल, आईआरएस एग्जाम पास करने वाली डिसेबल्ड वूमन ईरा सिंघल और वरिष्ठ नागरिकों के हित में अतुल्यनीय कार्य करने वाली वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन किरण चोपड़ा को जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने शाॅल और ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। इस सेमिनार के दौरान सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न विभागों में कार्य कर रहीं महिलाओं को भी विशेष सम्मान दिया गया।

आर्टीबिशन रूम में काम करने वाली माया, ई लाइब्रेरी में कार्यरत निर्मला, लाइब्रेरी-1 में वकीलों की मदद करने वाली रतनाम, लेडिज बार रूम में कार्यरत विद्या और एससीबी ऑफिस में लंबे समय से कार्यरत आरती को भी सम्मानित किया गया। इस सेमीनार के आयोजन में अधिवक्ता परिषद नेशनल प्रेजीडेंट नरगुणा, जनरल सेक्रेटरी दिल्ली जीवेश कुमार तिवारी, अधिवक्ता परिषद दिल्ली अध्यक्ष जीतेश विक्रम श्रीवास्तव, पट्टाविराम, अंजू शर्मा, सरस्वती भारद्वाज, कुसुम, पूनम गौड, अर्चना, रूपाली, भावना, ज्योत्सना, अनु सिंह, नचिकेता जोशी, राना मुखर्जी आदि ने भी योगदान दिया।

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