दिल्ली विधानसभा में 70 में से 8 सीटों पर सिमटने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपनी हार के कारणों की समीक्षा कर रही है। बीजेपी को मिली इस करारी हार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी जांच में जुटा हुआ है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ में दिल्ली चुनाव में बीजेपी की हार की विवेचना और समीक्षा छापी गई है।
संघ ने अपने मुखपत्र में बीजेपी की दिल्ली इकाई और चुनाव में उतारे गए उम्मीदवारों के बारे में लिखा है। साथ ही आर्टिकल में दिल्ली की आप पार्टी के उदय पर भी लिखा गया। समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि एक संस्था के तौर पर पार्टी को यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी हमेशा मदद नहीं कर सकते।
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समीक्षा में कहा गया है, ‘नरेंद्र मोदी और अमित शाह विधानसभा स्तर के चुनावों में हमेशा मदद नहीं कर सकते हैं और स्थानीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली में संगठन के पुनर्निर्माण के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’ समीक्षा में कहा गया है, ‘दिल्ली चुनाव के नतीजे कई विषयों पर सोचने के लिए मजबूर करते हैं, इनमें विकास से लेकर नागरिकता संशोधन कानून समेत कई मुद्दों ने अहम रोल निभाया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय का संदर्भ देते हुए अखबार ने लिखा है कि बुराई हमेशा बुराई रहेगी। आर्टिकल में कहा गया है कि दिल्ली में 2015 के बाद बीजेपी की जमीनी स्तर ढांचे को पुनर्जीवित करने और चुनाव के आखिरी चरण में प्रचार-प्रसार को चरम पर ले जाने में नाकामी हार का बड़ा कारण बनी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा विधानसभा स्तर के चुनावों में मदद नहीं कर सकते। दिल्ली में संगठन का पुनर्गठन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
मुखपत्र के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा है कि दिल्ली जैसे बड़े शहर जैसे राज्य में मतदाताओं के व्यवहार को समझने की जरूरत है। बीजेपी द्वारा उठाया गया शाहीन बाग का मुद्दा फेल हो गया, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने इस पर स्पष्ट रुख साफ कर दिया। इसके साथ ही केतकर ने बीजेपी को केजरीवाल के नए ‘भगवा अवतार’ के लिए चेताया और कहा कि इस पर नजर रखने की जरूरत है।