नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर बहुप्रतिक्षित पौने तीन किलोमीटर लंबा रावतुलाराम (आरटीआर) फ्लाईओवर बनकर तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज इसका उद्घाटन करेंगे। इसके निर्माण पर 200 करोड़ की लागत आई है, जिसमें 185 करोड़ फ्लाईओवर के निर्माण और करीब 15 कराेड़ सर्विसेज हटाने पर खर्च हुए हैं। इसके शुरू होने के बाद आईआईटी से एयरपोर्ट जाने और वापस आने में औसत पांच मिनट कम समय लगेगा और धौला कुआं जंक्शन पर गाड़ियां का लोड भी कम हो जाएगा। अब बात करते हैं कुछ ऐसे फायदों के बारे में जो राजधानी के स्वास्थ्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं।
सरकार ने दावा किया है कि इस कॉरिडोर पर वाहनों का परिचालन सुगम हो जाने से प्रतिदिन 13200 लीटर डीजल की बचत होगी जिसका सीधा असर दिल्ली के पर्यावरण पर पड़ेगा। इसके चलते प्रतिदिन 25.8 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय रूप से कमी दर्ज होगी। जबकि एक अनुमान के अनुसार कार्बन डाईऑक्साइड की इतनी मात्रा को सोखने के लिए करीब 4.32 लाख पेड़ होने चाहिए। इससे प्रतिवर्ष 7.7 लाख मानव दिनों की भी बचत होगी।
पीडब्ल्यूडी के अनुसार फ्लाईओवर के शुरू हो जाने से कार्बन क्रेडिट के रूप में प्रतिवर्ष 75.74 करोड़ रुपए बचेंगे। फ्लाईओवर निर्माण से जुड़े पहलुओं की बात करें तो इसमें 502 पाइल,104 पाइल कैप, 35 ओपन फाउंडेशन, 77 डैक स्लेब और 167 स्ट्रक्चरल स्टील गर्डर का इस्तेमाल किया है। इसके निर्माण की योजना से जुड़ा इतिहास भी कम दिलचस्प नहीं है। दिल्ली कैबिनेट ने इसे 2013 में मंजूरी दी थी और 2014 में इस पर काम शुरू हो गया था। जिसे दो साल में पूरा किया जाना था।
मगर योजना के बीच आ रहे हरे पेड़ों को काटने में देरी से अनुमति मिल सकी। जब काम शुरू हुआ तो कंपनी ने भी लेट-लतीफी की। बार-बार चेतावनी के बाद भी कंपनी ने अपना व्यवहार नहीं बदला तो पीडब्ल्यूडी ने कंपनी पर 27 करोड़ का जुर्माना लगाया। इससे पहले आरटीआर की लालबत्ती पर 2009-10 में डबल फ्लाईओवर का निर्माण किया जाना था।