किसानों का आंदोलन रविवार को चौथे दिन जारी है। केंद्र सरकार द्वारा लागू नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। हालांकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अपील के बाद किसान नेताओं की अहम बैठक के बाद किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही किसान अब दिल्ली- हरियाणा के सिंधु बॉर्डर से बुराडी के निराकारी समागम मैदान नहीं जाएंगे।
बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के एक नेता ने बताया कि किसान दिल्ली बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों के प्रतिनिधियों से बातचीत नहीं करेंगे। उधर, उत्तर प्रदेश से लगती राष्ट्रीय राजधानी की सीमा स्थित गाजीपुर में प्रदर्शन कर रहे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी बताया कि कोर कमेटी का यही फैसला है कि फिलहाल किसान दिल्ली की सीमा पर ही प्रदर्शन करेंगे।
किसानों के आंदोलन की वजह से कई सड़क और दिल्ली आने वाले रास्ते बंद हैं जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से बुराड़ी मैदान में आकर प्रदर्शन करने की अपील की है और कहा कि वे जैसे ही निर्धारित स्थान पर जाएंगे, उसी समय केंद्र वार्ता को तैयार है। शाह ने कहा किसानों के प्रतिनिधिमंडल को चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान संगठनों ने तत्काल वार्ता करने की मांग की है और केंद्र बुराड़ी के मैदान में किसानों के स्थानांतरित होते ही वार्ता को तैयार है।
सिंघू बॉर्डर पर मौजूद बृज सिंह नामक किसान ने कहा, ‘‘भविष्य की रणनीति तय करने के लिए आज अहम बैठक होने वाली है। तब तक हम यहीं जमे रहेंगे बैठक के नतीजों के हिसाब से फैसला करेंगे। मांगें माने जाने तक हम प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे।’’ पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी शाह के प्रस्ताव पर कहा कि किसानों से जितनी जल्दी बातचीत होगी, उतना ही वह कृषि समुदाय और दिश के हित में होगा।
दिल्ली-हरियाणा सीमा स्थित सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि किसान नेताओं की कोर कमेटी की बैठक चल रही है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। गृहमंत्री ने शनिवार को किसानों से दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड आकर प्रदर्शन करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने किसानों को यह भी आश्वासन दिया कि बुराड़ी ग्राउंड शिफ्ट होने के दूसरे दिन ही भारत सरकार उनके साथ चर्चा के लिए तैयार है।
वहीं दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत के लिए किसी भी प्रकार की शर्त नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार को बातचीत का आयोजन तुरंत करनी चाहिए, वे हमारे देश के किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अपना विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए जहां वे चाहते हैं। सत्येंद्र जैन ने कहा कि हमें किसानों की परेशानी भी देखनी चाहिए। किसान अपने घर से दूर खुशी से नहीं आया है। लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज रखने का पूरा अधिकार है और वो जहां चाहें अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।
किसानों का संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि सिंघू बॉर्डर पर चल रही बैठक में आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बैठक में यह तय होगा कि आगे कहां जाना है। राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश से आए किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
बता दें कि नये कृषि कानून से संबंधित मसले समेत किसानों की समस्याओं को लेकर पंजाब के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच बीते दिनों 13 नवंबर को नई दिल्ली स्थित विज्ञान-भवन में हुई बैठक में कई घंटे तक बातचीत हुई थी और दोनों पक्षों ने आगे भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई थी। बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।
इस बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री ने पंजाब के किसान नेताओं को नये कृषि कानून पर चर्चा के लिए तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है, जिसका जिक्र गृहमंत्री ने भी किया है। किसान नेता सरकार से नये कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कृषि कानून से किसानों के बजाय कॉरपोरेट को फायदा होगा।
किसान नेता किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी चाहते हैं और इसके लिए नया कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। उनकी यह भी आशंका है कि नये कानून से राज्यों के एपीएमसी एक्ट के तहत संचालित मंडियां समाप्त हो जाएंगी जिसके बाद उनको अपनी उपज बेचने में कठिनाई आ सकती है। नये कानून में अनुबंध पर आधारित खेती के प्रावधानों को लेकर भी वे स्पष्टता चाहते हैं।