सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधान सभा सचिवालय द्वारा आम आदमी पार्टी के बागी विधायक देवेन्द्र सहरावत को दल बदल कानून के तहत दी गयी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई से इंकार कर दिया। सहरावत के कथित रूप से बीजेपी में शामिल होने पर सचिवालय ने उन्हें यह नोटिस दिया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाश पीठ ने विधायक देवेन्द्र सहरावत के वकील से कहा कि अयोग्यता के बारे में कार्यवाही के दौरान वह विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं। पीठ ने कहा कि वह याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है। इसके बाद सहरावत के वकील ने याचिका वापस ले ली।
बिजवासन विधानसभा सीट से विधायक सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया था कि उन्होंने अभी तक बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण नहीं की है और उन्हें अयोग्य करार देने का नोटिस एकपक्षीय और गैर कानूनी है।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने दल बदल कानून के तहत दो विधायकों देवेन्दर सहरावत और अनिल बाजपेयी को अयोग्य घोषित करने के लिये विधान सभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर कर रखी है। भारद्वाज ने याचिका में कहा था कि ये दोनों सदस्य बीजेपी में शामिल हो गये हैं।
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इसके बाद विधान सभा सचिवालय ने सहरावत के अलावा आप के एक अन्य बागी विधायक अनिल बाजपेयी को भी नोटिस जारी किया था। बिजवासन सीट से निर्वाचित सहरावत और गांधी नगर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बाजपेयी को विधान सभा अध्यक्ष ने अपना जवाब दाखिल करने के लिये एक सप्ताह का वक्त दिया है।