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प्रदूषण को लेकर SC की AAP सरकार को फटकार, जब बड़े घर पर हैं तो बच्चों के लिए क्यों खोले स्कूल?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगते हुए पूछा कि जब प्रदूषण के स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ है तो स्कूल क्यों खोले गए?

दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हो रही हवा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपना है, और दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगते हुए पूछा कि जब प्रदूषण के स्तर में कोई सुधार नहीं हुआ है तो स्कूल क्यों खोले गए? दरअसल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कहर जारी है, दिल्ली में गुरुवार को भी हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 312 दर्ज किया गया था। 
प्रदूषण में नहीं कोई सुधार तो क्यों खोले गए स्कूल 
बता दें की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य राज्यों में एक्यूआई 400 (गंभीर श्रेणी) को पार कर गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे नहीं लगता की प्रदूषण को लेकर सरकार गंभीर है और कोई कदम उठा रही है। एनवी रमन्ना ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमने आपके बयानों को गंभीरता से लिया। आपने कई दावे किए हैं। आपने कहा कि आपने स्कूल बंद कर दिए हैं। लेकिन सभी स्कूल बंद नहीं हैं, 3-4 साल के बच्चे स्कूल जा रहे हैं।’
SC ने कहा प्रदुषण को लेकर गंभीर नहीं सरकार 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब प्रदूषण के चलते व्यसक घर से काम कर रहे हैं (वर्क फ्रॉम होम) तो बच्चों को स्कूल जाने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है? इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को युवाओं के प्रदर्शन को लेकर फटकार लगते हुए कहा कि सड़क के किनारे खड़े होकर रेड लाइट पर ‘कार का इंजन बंद’ करने का संदेश दिया था। इन पोस्टर्स पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी फोटो थी। 
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गरीब युवा लड़के बैनर लिए सड़क के बीच में खड़े हैं, उनकी सेहत का ख्याल कौन रख रहा है? उन्होंने सिंघवी से कहा, हमें फिर से कहना पड़ रहा है, लोकप्रियता के नारे के अलावा और क्या है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा हम अपने आदेशों के कार्यान्वयन से चिंतित हैं .. हम हलफनामे नहीं चाहते हैं। सिंघवी ने सेंट्रल विस्टा परियोजना में चल रही निर्माण गतिविधि से निकलने वाली धूल की ओर इशारा किया। 
SC ने सरकार से पूछा कितने टास्क फोर्स हैं?
पीठ ने जोर देकर कहा कि वह धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई चाहती है।जस्टिस कांत ने कहा, प्रचार के लिए? सड़क के बीचोबीच खड़ा एक युवक हाथ में बैनर लिए खड़ा है। सिंघवी ने कहा, ‘वे सिविल वालंटियर हैं।’ जस्टिस कांत ने जवाब दिया कि ‘किसी को तो उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना पड़ेगा।’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, आप कह रहे हैं कि आपने एक टास्क फोर्स बनाया है। दिल्ली सरकार से कितने टास्क फोर्स हैं, केंद्र भी अपनी टास्क फोर्स बना रहा है.. मामले में सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष पीठ राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के संबंध में दिल्ली के एक 17 वर्षीय छात्र की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

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