देशभर में जहां एक ओर रंगों को त्योहार पूरी धूम-धाम से मनाया जा रहा है, वहीं इस बार मौजूदा समय में शाहीनबाग स्थित बंद दुकानों ने त्योहार की रौनक फीकी कर दी है। दुकानों के स्थायी ग्राहकों ने अब अन्य जगहों से सामान खरीदना शुरू कर दिया है।
सरिता विहार में रहने वाली एक गृहणी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘कोरोनावयरस के बढ़ते प्रकोप के चलते इस बार होली न ही मनाएं तो ज्यादा अच्छा है। गुलाल का टीका लगा देने से काम चल जाएगा। पहले बच्चों के कपड़ों सहित खाने-पीने की कई चीजें शाहीन बाग की दुकानों से ले लिया करते थे, अब कहीं और से ही खरीदा होगा।’
शाहीनबाग में कपड़ों की दुकान चलाने वाले रोहित ने कहा, ‘हमारे कर्मचारी त्योहार के लिए पैसे मांग रहे हैं, लेकिन ढाई महीने से दुकान बंद रहने के चलते इस वक्त तो हालत यह है कि खाने के लिए भी हमारे पास पैसा नहीं है। उन्हें कहां से दें?’
रोहित ने ग्रहकों के नहीं आने की बात बताते हुए कहा, ‘अब हमारे पास कौन आएगा? पुराने सभी ग्राहक दूसरी जगह से सामान लाने लगे हैं, नए ग्राहक बनाने में तीन महीनों से अधिक का समय लगेगा।’
गौरतलब है कि शाहीनबाग में 86 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। ढाई महीने से यहां दुकानदारी ठप पड़ी है, जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में कालिंदी कुंज मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन ने डीसीपी आरपी मीणा से मुलाकात भी की थी, लेकिन डीसीपी ने भी दुकानदारों की मदद करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सभी दुकानदार काफी निराश नजर आए थे।