जानीमानी इतिहासकार रोमिला थापर को अपना बायोडेटा जमा करने के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी द्वारा एक पत्र भेजे जाने से जुड़े विवाद को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने गुरुवार को कहा कि जेएनयू के नए प्रबंधन को शिक्षा के बारे में कुछ पता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी लोगों को प्रोफेसर एमिरट्स का दर्जा देते हैं ताकि खुद का सम्मान कर सकें।
थरूर ने कहा, ‘‘जब कोई प्रोफेसर सेवानिवृत्त होता है या सेवानिवृत्ति के लिए तय आयु तक पहुंचता है तो यूनिवर्सिटी उस व्यक्ति के साथ अपना संबंध खत्म नहीं करना चाहता। ऐसे में ऐमिरट्स का दर्जा दिया जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह मामला दोतरफा होता है। प्रोफेसर का संस्थान से संबंध होता है, लेकिन उसकी कोई बाध्यता नहीं होती। दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी की भी कोई बाध्यता नहीं होती, उसे वेतन नहीं देना होता लेकिन उसके साथ संबंधित व्यक्ति का नाम जुड़ा होता है। इससे यूनिवर्सिटी को एक तरह से विश्वसनीयता भी मिलती है।’’
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘स्पष्ट है कि जेएनयू के नए प्रबंधन को इस बारे में कुछ समझ नहीं है। इस संस्थान को फिलहाल चला रहे लोगों को शिक्षा के बारे में कोई समझ नहीं है।’’ गौरतलब है कि हाल ही में प्रोफेसर एमिरेट्स रोमिला थापर को अपना बायोडेटा जमा करने के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया।
हालांकि यूनिवर्सिटी ने बुधवार को कहा कि एक प्रोफेसर एमेरिट्स के नाम का इस्तेमाल कर प्रशासनिक सुधारों और नियमों के प्रयोग को बदनाम करने के लिए दुर्भावनापूर्ण अभियान शुरू किया गया है। साथ ही, यूनिवर्सिटी ने यह भी कहा कि इसके जरिए किसी प्राध्यापक को निशाना नहीं बनाया गया है।