दिल्ली के वायु प्रदूषण में खेतों में जलाई जाने वाली पराली का हिस्सा शनिवार को 32 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जो एक दिन पहले 19 प्रतिशत पर था। हवा की दिशा और खेतों में जलाई जाने वाली पराली में भारी वृद्धि के कारण राजधानी के प्रदूषण में पराली के धुएं की मात्रा बहुत ज्यादा है। केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी ने यह अनुमान लगाया है।
राजधानी दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक दोपहर एक बजे 366 पर दर्ज किया गया, जो कि बहुत खराब श्रेणी में आता है। इसमें पता चला कि आनंद विहार का इलाका प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है, जबकि लोधी रोड में इसका सबसे कम प्रभाव है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, पराली जलाने की घटनाओं में काफी उछाल आया है और यह शुक्रवार को इस सीजन में अब तक के उच्चतम स्तर 3,471 पर पहुंच गया है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के वायु प्रदूषण विभाग के वैज्ञानिक विजय सोनी ने बताया, कल, हमने पंजाब क्षेत्र में इस सीजन की सबसे अधिक पराली में आग लगी देखी। इसका धुआं दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता पर असर डालता है। सोनी ने कहा, अब हवा के साथ-साथ वेंटिलेशन भी हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनुकूल है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि कल और उसके बाद, हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इसके अलावा, सफर के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली की ओर चलने वाली हवा के कारण और पराली जलाने जैसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि होने से पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि हुई है, जिसका अनुमान 32 प्रतिशत लगाया गया है। दिल्ली की हवा में पराली जलने के बाद प्रदूषण में वृद्धि का गुरुवार को सबसे अधिक 36 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया गया।