दिल्ली के लोगों ने इस बार जब अपने सांसद प्रतिनिधि को चुनने के लिए रविवार को मताधिकार का प्रयोग किया तो उनके दिमाग में क्या मुद्दे थे? अपने सांसद को चुनते वक्त उनके दिमाग में क्या उधेड़-बुन चल रही होगी इसका खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की दिल्ली को लेकर जारी एक सर्वे रिपोर्ट में हुआ है।
दरअसल लोकसभा चुनावों से पहले एडीआर ने अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच दिल्ली के सातों लोकसभा क्षेत्रों में कुल 3500 लोगों पर एक सर्वे किया था। प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र से 500 मतदाताओं को एक प्रश्नावली देकर उनकी समस्याएं पूछी गई तो मतदाताओं ने ट्रैफिक जाम, पानी एवं वायु-प्रदूषण और रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। लगभग 50 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा कि ट्रैफिक जाम दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या है। इसके बाद लगभग पचास प्रतिशत लोगों ने पानी और वायु-प्रदूषण को अपनी प्राथमिकता बताया तो वहीं लगभग 44 प्रतिशत मतदाताओं ने रोजगार को अपनी बड़ी समस्या बताया।
ऐसे में लाजमी है कि दिल्ली वालों ने उक्त तीन मुद्दों को मन में रखते हुए अपना मतदान किया होगा। एडीआर के ट्रस्टी प्रोफेसर जगदीश छोकर ने बताया कि इस सर्वे रिपोर्ट में आश्चर्य चकित करने वाला खुलासा यह भी हुआ कि दिल्ली के मतदाताओं से जुड़े उक्त तीनों मुद्दों पर संबंधित सरकारों ने भी कोई खास काम नहीं किया। इन तीनों मुद्दों पर एडीआर ने लोगों को पांच में रेटिंग देने को कहा तो ज्यादा लोगों ने लगभग ढाई अंक की रेटिंग दी जबकि औसत के लिए तीन अंक तय थे।
एीडीआर की नंदनी राज ने बताया कि सर्वे के दौरान राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी अलग समस्याएं निकलकर सामने आयीं। 56 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं ने कृषि उपज के अधिक मूल्य दिये जाने, 52 प्रतिशत मतदाताओं ने रोजगार के बेहतर अवसर और 44 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं ने कृषि के लिए बिजली न मिलने को बड़ी समस्या बताया। ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े इन मुद्दों पर सरकार के काम को पांच में लगभग ढाई की रेटिंग दी गई जो औसत से कम है।