अगले कुछ दिनों में दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की आशंका है। सर्दी आने से पहले एक बार फिर से दिल्ली की हवा खराब होने लगी है। वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है, इसलिए एहतियात बरतने की जरूरत है।जो मौजूदा समय के मुकाबले अधिक जानलेवा साबित हो सकती है। इसे ध्यान में रखकर सरकार की ओर से जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं। शुक्रवार से दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू कर दिया गया है। प्लान में चार अलग-अलग चरणों के तहत वायु प्रदूषण की विभिन्न परिस्थितियों से निपटने के प्रविधान हैं। इसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का एक बड़ा कारण पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली भी है।
केंद्रीय वायु गुणवत्ता आयोग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस बार अबतक पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। आगे भी इस समस्या पर नजर रखनी होगी, क्योंकि अभी यह समस्या पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। आने वाले दिनों में फसलों की कटाई चरम पर होगी, इसलिए पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकना जरूरी है। निर्माण स्थलों पर धूल न उड़े इसके लिए प्रदूषण के रोकथाम के नियमों को सख्ती से लागू करना होगा। न सिर्फ बड़े निर्माण स्थलों पर बल्कि आवासीय इलाके में भी नियमों का पालन कराने की जरूरत है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि आने वाले कुछ माह प्रदूषण के लिहाज से गंभीर हो सकते हैं। पिछले वर्षों के दौरान नवंबर से जनवरी और कई बार फरवरी मध्य तक राजधानी की हवा बहुत खराब हो जाती है। समस्या बढ़ने पर स्कूल तक बंद करने पड़ते हैं। अदालत से लेकर संसद तक में इस समस्या पर चिंता जताई गई है।
बता दें कि वायु प्रदूषण के कारण दिल्लीवासी बीमार पड़ते हैं। बच्चों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से बच्चे घुटन महसूस करने लगते हैं और सर्दियों के दौरान ये समस्या बढ़ जाती है। यह स्थिति सुधारने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।