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बिल्डिंग में नहीं था कोई निकलने का रास्ता : गर्ग

फिल्मीस्तान अनाज मंडी के पास 43 लोगों की जिंदगी निगलने वाली बिल्डिंग में लाइफ के लिए कोई एग्जिट प्वाइंट ही नहीं था। बिल्डिंग के मेन गेट बंद थे।

नई दिल्ली : फिल्मीस्तान अनाज मंडी के पास 43 लोगों की जिंदगी निगलने वाली बिल्डिंग में लाइफ के लिए कोई एग्जिट प्वाइंट ही नहीं था। बिल्डिंग के मेन गेट बंद थे। अंदर मौजूद मजदूर जान बचाने के लिए जीने के रास्ते छत पर भागते तो वह भी बंद पड़ा हुआ था। करीब 600 गज की बिल्डिंग में कैद मजदूरों ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। दमकल कर्मियों ने मैन गेट और जीने का गेट तोड़कर जिन लोगों को समय पर बाहर निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया। वही लोग इस अग्नि कांड में बच सके हैं। 
दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के नाम पर कुछ भी नहीं था। करीब 600 गज की इमारत में बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर समेत चार मंजिल बनी हुई हैं। इन मंजिलों पर स्कूल बैग, लेडीज पर्स, जूट के बैग, गत्तों की पैकिंग और प्लास्टिक दाने का मटेरियल भरा हुआ था। इतने बड़े भूभाग में ऊपर छत पर जाने के लिए सिर्फ दो जीने थे। इसमें भी एक जीने को मटेरियल डालकर बंद कर दिया गया था, जबकि दूसरे पर ताला लगा हुआ था। बिल्डिंग में वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था तक नहीं थी। 
दूसरा इमारत के अंदर व्यवसायिक गतिविधियां रिहाइश इलाके में चल रही थीं, जो कि पूरी तरीके से अवैध थी। बिल्डिंग में काम करने वाले अधिकांश मजदूर बिहार के रहने वाले हैं, जो हर दिन यहां काम करने के बाद मौत के मुंह में सोते थे। दमकल विभाग के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने बताया कि मजदूर जिस बिल्डिंग में काम करते थे। वे वहीं खाना पकाते,  खाते और नहाना धोना करते थे। जबकि इमारत में भारी मात्रा में ज्वलनशील पदार्थ मौजूद रहता था। अतुल गर्ग ने बताया कि रिहायशी इलाकों में कमर्शियल एक्टिविटीज नहीं होनी चाहिए। 
इसके अलावा फैक्ट्रियों में मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंट्री और एग्जिट प्वाइंट का पूरा ख्याल रखा जाना चाहिए। ताकि कोई हादसा हो तो तुरंत वर्कर बाहर निकल सकें। दमकल विभाग के एक अन्य ऑफिसर के मुताबिक फैक्ट्रियों में चोरी के डर से फैक्ट्री मालिक ऊपर छत पर जाने के रास्तों को बंद कर देते हैं। 
खिड़कियों को फिक्स कर दिया जाता है। इसी तरह मेन गेट को बंद कर दिया जाता है। सिर्फ बड़े गेट में बने छोटे गेट को खोलकर रखा जाता है जो कि सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह गलत है। इसके अलावा फैक्ट्री में अग्नि सुरक्षा उपकरण लगे हो और समय-समय पर उनकी जांच हो। फैक्ट्री संचालक को दमकल विभाग से एनओसी लेनी भी जरूरी है।
तो बच सकती थीं कई जानें…
दमकल विभाग को 5:22 पर बिल्डिंग में आग की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही मौके पर दमकल विभाग की 4 गाड़ियां पहुंच गई। तब दमकल कर्मियों को पता चला कि वहां आग लगने के अलावा बड़ी संख्या में लोग अंदर फंसे हुए हैं। जिसके बाद तुरंत आसपास के और स्टेशन से स्टाफ को मौके पर बुलाया गया। अतुल गर्ग ने बताया कि अगर शुरू में ही बिल्डिंग में लोगों के बड़ी संख्या में फंसे होने की सूचना मिलती तो कई लोगों की जानें बचाई जा सकती थीं। 
दमकल कर्मियों ने जान पर खेलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए अंदर फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला। संकरे रास्ते होने के कारण दमकल कर्मियों को रेस्क्यू ऑपरेशन को तुरंत अंजाम देने में काफी दिक्कतें आई थीं। दमकल विभाग की सिर्फ एक छोटी गाड़ी ही घटनास्थल तक पहुंच सकी थी। जबकि अन्य बड़ी गाड़ियां काफी दूर पहले चौड़े मार्ग पर रुक गई थीं। जहां हादसा हुआ था। वह इमारत मैन झांसी रोड से करीब डेढ़ सौ मीटर अंदर थी।

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