नई दिल्ली : जीवन में कैसी भी परिस्थिति हो डर कर भागना नहीं है। बल्कि हर परिस्थिति का सामना डट कर करना है। यही कर्म है और यही धर्म है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहनराव भागवत ने जनपथ स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में गुरुवार को भागवत गीता पर आयोजित संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि जीवन में व्यक्ति के समक्ष कई तरह की मुश्किलें आती है, लेकिन बाधाओं से डरना नहीं है। मर जाओ तो याद किए जाओगे और जीत गए तो वैभव का सुख भोगोगे।
आमतौर पर देखा जाता है कि 12वीं क्लास में पढ़ने वाले छात्र जब फेल हो जाते हैं, तो घबरा जाते हैं। लेकिन छात्र को मन में कल्पना यह नहीं करना है कि फेल होने पर क्या होगा। कर्म यह है कि दोबारा से परीक्षा की तैयारी करें और पास होकर कर्म सिद्ध करें। भागवत ने आगे कहा कि मैंने पहली बार गीता पर तब बोला जब में कॉलेज में पढ़ा करता था। उन दिनों मुझे एक ऐसे टॉपिक पर बोलने के लिए कहा गया जो नकारात्मक था। इस दौरान उन्होंने महाभारत के उस दौर का जिक्र किया जब अर्जुन के सामने कृष्ण उन्हें कर्म और धर्म का उपदेश दे रहे थे।
विपक्ष राम मंदिर का विरोध नहीं कर सकता : भागवत
उन्होंने कहा कि हर कीमत पर धर्म का पालन करो और सुख भोगो। भय के कारण मौत होगी इसलिए धर्म का साथ मत छोड़ो। कई लोग मुझसे कहते है कि संघ में लोग आकर डरते हैं, मैं उनसे भी यही कहता हूं कि कर्म करो बेकार ही तुम डर रहे हो। कर्म के फल की चिंता मत करो क्योंकि भगवान भी कहते हैं कि कर्म सिर्फ फल के लिए नहीं करना चाहिए। कर्म करने से देश सेवा और लोगों की भलाई के लिए किया जाता है।