दक्षिणी दिल्ली : ट्रेनिंग के लिए दिल्ली पहुंचे एक अंडर ट्रेनिंग आईपीटीएएफएस अधिकारी को मूवर्स एंड पैकर्स कम्पनी की आड़ में कुछ शातिरों ने अपनी ठगी का शिकार बना लिया। घटना वसंतकुंज साउथ इलाके की है, जहां ठगी का पता चलने के बाद पीड़ित ने मामले की सूचना स्थानीय पुलिस को दी।
फिलहाल पुलिस ने पीड़ित की शिकायत ले ली है और मामले की जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों ने पीड़ित अंडर ट्रेनिंग आईपीटीएएफएस अधिकारी की पहचान अमरनाथ ओझा के तौर पर की है, जो मूलरूप से बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं।
पुलिस सूत्रों की मानें तो अमरनाथ ओझा इन दिनों अपनी ट्रेनिंग दिल्ली के घिटोरनी इलाके में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन फाइनेंस में कर रहे हैं और उसी के परिसर में स्थित हॉस्टल में रह रहे हैं। उन्होंने अपने पास रॉयल एनफील्ड बाइक रखी हुई थी। जिसे वे कभी-कभार ही इस्तेमाल करते थे। लेकिन यहां बाइक की खास जरूरत नहीं होने की वजह से वह उसे अपने गांव बिहार के बक्सर भेजना चाहते थे।
गुगल के टॉप सर्च पर फर्जी वेबसाइट
उन्होंने बताया कि एक दिन वे ऑनलाइन सर्च कर ऐसे मूवर्स एंड पैकर्स कम्पनी का पता लगा रहे थे, जो उनकी बाइक गांव तक पहुंचा दे। सबसे पहले उन्हें एक वेबसाइट नजर आई, जहां से एक निजी पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी के बारे में पता चला।
उन्होंने कम्पनी के पेज पर सारी डिटेल डाल दी। जिसके बाद विकास गोयल नामक शख्स का फोन आया और करीब चार हजार रुपए में बाइक को ले जाने की बात फाइनल हुई।
खाली बिल पर करवा लिया साइन…बताया जाता है कि कुछ दिनों बाद एकाएक ही कम्पनी का एक कर्मचारी उनके पास पहुंचा और बाइक ले जाने की बात कही। उसने बाइक ले जाने से पहले चार हजार रुपए ले लिए और जल्दी में होने की बात कहते हुए उनसे खाली बिल पर साइन करवा लिया और बाइक लेकर चला गया।
उसके कुछ दिनों बाद भी जब बाइक गांव नहीं पहुंची तो अमरनाथ झा ने कम्पनी से सम्पर्क करना चाहा तो पता चला कि उन्होंने जिस बिल पर साइन किया था, उसमें 4 हजार रुपए बाइक ले जाने के किराए के अलावा कई प्रकार के टैक्स और अन्य चार्ज जोड़कर कुल 8 हजार 525 रुपए का बिल बना दिया था। फिर उनसे 4 हजार 525 रुपए की मांग की गई। अपना विरोध जताने के बाद भी उन्होंने रुपए भेज दिए।
उसके कुछ दिनों के बाद जब उन्होंने ऑनलाइन अपनी बाइक को ट्रैक करने के लिए वेबसाइट खोला, तो पाया कि उस वेबसाइट पर ठगी करने के संदर्भ में शिकायत दर्ज थी। आगे पता लगाने पर पता चला कि उसी कम्पनी के मालिक के नाम पर उपभोक्ता अदालत में वर्ष 2018 में केस दर्ज कराया गया था।