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रेलवे ने किया स्पष्ट, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के साथ फैसाल लिए बिना अतिक्रमण नहीं हटाएंगे

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़े जाने का विरोध कर रही है। रेलवे ने सोमवार को कहा कि शहरी विकास मंत्रालय और दिल्ली सरकार के साथ मिलकर उचित फैसला लिए बिना वह कोई भी अतिक्रमण नहीं हटाएगा।  रेलवे का यह बयान उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे मौजूद 48 हजार झुग्गियों को हटाने के दिए आदेश के बाद उठे राजनीतिक तूफान के बाद आया है। 

उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को तीन महीने में झुग्गियों को हटाने का आदेश दिया। एक अनुमान है कि नारायणा विहार, आजादपुर, शकूर बस्ती, मायापुरी, श्रीनिवासपुरी, आनंद पर्वत, ओखला और अन्य स्थानों पर बनी झुग्गियों में 2.40 लाख लोग रहते हैं।  उत्तर रेलवे ने शीर्ष अदालत में दाखिल रिपोर्ट में कहा कि पटरियों के किनारे बनी झुग्गियों की वजह से साफ-सफाई में बाधा उत्पनन हो रही है। 

उत्तर रेलवे ने बयान में कहा, ‘‘ रेलवे 31 अगस्त 2020 को एमसी मेहता बनाम भारत सरकार के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले का अनुपालन करने के लिए सभी कदम उठा रहा है। रेलवे अधिकारी सभी हितधारकों- दिल्ली सरकार (डीयूएसआईबी के साथ पांच सितंबर 2020 को बैठक) और शहरी विकास मंत्रालय (10 सितंबर 2020)- के साथ मामले का रास्ता निकालने और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन के लिए नियमित बैठक कर रहे हैं।’’ 

बयान में कहा, ‘‘ साथ ही रेलवे शहरी विकास मंत्रालय और राज्य सरकार के साथ उचित फैसला लिए जाने तक कोई अतिक्रमण नहीं हटाएगा। यही रुख रेल मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में अजय माकन की याचिका पर लिया है जिस पर सुनवाई आज सूचीबद्ध है।’’  उत्तर रेलवे ने कहा कि उसने पटरियों पर से कूड़ा हटाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य शुरू किया है और अब तक पांच से छह प्रतिशत कूड़ा हटाया जा चुका है। 

उच्चतम न्यायलय के आदेश के अनुरूप कूड़ा साफ करने का काम तीन महीने में पूरा कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री अजय माकन ने उच्चतम न्यायालय में शुक्रवार को याचिका दायर कर झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास का अनुरोध किया।